देहरादून- उत्तराखंड को देवभूमि नाम से भी लोग देश-विदेश में जानते हैं. जहां देवी स्वरूप मां के तमाम सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और धर्मस्थल मौजूद हैं, वहीं जन्म देने वाली मां बेहद बदहाल दशा में है।
पिछले पांच सालों के दौरान प्रसव के दौरान जान गंवाने वाली जन्मदात्री की संख्या में 6 गुना तक बढ़ोतरी हुई है। तो वहीं चमोली में सबसे अधिक ये देखा गया है कि प्रसव पीड़ा के दौरान एंबुलेंस न मिलने औऱ 108 की लापरवाही के कारण गर्भवती महिलाओं की जान गई.
सरकार और स्वास्थ्य विभाग हर बार महिलाओं की बेहतरी का दावा करता है लेकिन उसके बीच ही यह चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार 2012-13 में राज्य में एक लाख बच्चों के जन्म के दौरान 15 माताओं की मौत होती थी। हाल ही में एंबुलेंस न मिलने का कारण महिला पीड़ा के दौरान नाली में जा गिरी थी जो बेहद शर्मनाक है.
2017-18 में एक लाख बच्चों के जन्म के दौरान 87 माताओं की जान गई
अब तमाम नए अस्पताल खुलने ओर नई योजनाएं चलने के बावजूद जान गंवाने वाली माताओं की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। वर्ष 2017-18 में एक लाख बच्चों के जन्म के दौरान 87 माताओं ने अपना जीवन गंवाया है।
स्थ्य विभाग खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास
उत्तराखंड के लिए चिंताजनक बात यह इसलिए भी है क्योंकि यहां स्वास्थ्य विभाग खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है। इसके बावजूद हाल बदहाल है. न किसी को समय पर एंबुलेंस मिल रही है औऱ न डॉक्टर. किसी को पैसों की किल्लत के कारण जान गवानी पड़ रही है तो किसी को अस्पतालों की बदहाल दशा के कारण. सोचने वाली बात है जब खुद मुख्यमंत्री अपने विभाग को लेकर चिंतित नहीं है और न हालत सुधार के लिए कुछ रहे हैं तो ऐसे में वह और मंत्री-विधायकों को अपने विभाग के सधार के लिए क्या निर्देश देंगे