गैरसैंण- मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन को बेहद जहीन विधायक माना जाता है। अमूमन शांत रहने वाले वाले काजी सदन में शांत नहीं रहते। काज़ी जब भी सदन में किसी मद्दे को उठाते हैं तो गंभीर और जनसरोकारों से जुड़े ऐसे सवाल उठाते हैं कि सत्ता को जनपक्ष की ओर निगाह डालने को मजबूर होना पड़ता है। एेसे मसलों पर काजी न केवल हवा-हवाई बात करते हैं बल्कि दमदार दलीलों के साथ जिरह करते हैं।
कुछ ऐसा ही हुआ भराड़ीसैंण में, जहां काजी निजामुद्दीन ने बेहद संजीदा सवाल कर सत्ता की आंखें खोल दी। दरअसल निजामुद्दीन ने उत्तराखंड विधानसभा नियामावली का हवाला देकर कहा कि, नियम के मुताबिक एक साल में सत्र कम से कम 60 दिन का होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है!
काजी ने सूबे की भाजपा सरकार के एक साल के कार्याकाल के दौरान हुए सत्र के बारे मे कहा कि सरकार के पूरे साल के कार्यकाल में सत्र सिर्फ 13 दिन चला है। इसे गलत परंपरा करार देते हुए काजी ने कहा कि इन हालात में जनप्रतिनिधि कैसे जनआकांक्षाओं पर खरा उतर सकते हैं। जब सदन ही नहीं चलेगा तो जनता की आवाज कैसे बुलंद हो सकती है।
वहीं काजी नें गैरसैँण में आयोजित हो रहे सत्र पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि कायदे के मुताबिक तो राज्यपाल के अभिभाषण पर कम से कम तीन-चार दिन चर्चा होनी चाहिए थी। लेकिंन आलम ये है कि सरकार अभिभाषण भी करवाती है और बजट भी पेश कर देती है। किसी तरह की कोई दानिशमंदी भरी चर्चा नहीं होती। काजी ने इस सियासी रिवाज़ पर नाखुशी जाहिर की।
काजी ने कहा बेहतर होता महामहिम के अभिभाषण पर चर्चा होती राय-मशविरा का दौर चलता और सरकार विपक्ष के सवालात से वाकिफ होती जबकि विपक्ष सरकार की मंशा को समझता। वहीं काजी ने गैरसैंण में बजट सत्र के आयोजन पर सरकार की मंशा पर सवाल करते हुए कहा कि सरकार ने बजट सत्र सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए गैरसैंण में आयोजित किया।