रूद्रप्रयाग- अच्छे मानसून की खबर से मुल्क मे खुशी की बयार बहती है लेकिन पिछले कुछ सालों से अच्छे मानसून की खबर से उत्तराखंड डर जाता है और डरे भी क्यों नही ? अब बरसात से खेतों मे खुशहाली की फसल पैदा नही होती बल्कि राज्य के पहाड़ी इलाकों मे बर्बादी बरसा देती है। सूबे मे अतिवृष्टि जारी है जिसका असर जनजीवन पर पड़ रहा है। तय है कि अगर बरसात ऐसे ही होती रही तो रूद्रप्रयाग जिले के जखोली विकासखंड की भरदार पट्टी के तकरीबन 50 गांवों का संपर्क सड़क से टूट सकता है। उसकी वजह है कि इन गांवों को जोड़ने वाला तिलवाड़ा-सौंराखाल मोटर मार्ग का बदहाल हो जाना। आलम ये है कि जगह-जगह पर पुश्ते धंस गये हैं मलबे के ढेर बिखरे पड़े हैं, छोटे वाहनों को ही आवागमन करने मे मशक्कत करनी पड़ रही है तो बड़े वाहनों से सफर की बात करना बेमानी है।
सड़क की बदहाली के लिये जरूरत से ज्यादा बारिश तो जिम्मेदार है ही ठेकेदारों की मनमानी कोढ पर खाज साबित हो रही है। दरअसल 80 के दशक मे बनी इस 36 किलोमीटर लंबी सड़क पर आजकल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पीडब्लूडी और एड़ीबी सुधारीकरण का काम कर रही है। काम ठेकेदारों के हवाले है और महकमों की मॉनिटरिंग को जेब मे रखने वाले ठेकेदारों की मनमानी जारी है। लिहाजा सड़क की सेहत सुधरने के बजाय और बिगड़ रही है। पानी निकलने का इंतजामात न होने के कारण बरसात का पानी सड़क के सीने पर ही गुजर रहा है जिसके चलते सड़क और उसके पुश्ते कमजोर होकर जगह-जगह से धंस रहे हैं। आलम ये है कि हल्की बारिश होते ही चौंरिया, सौंदा, क्वीला, घेंघड़ाखाल,नोली, सकलाना, माथगांव,कांडा, तिमली समेत कई गांवों का रास्ता बंद हो जाता है। जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा प्रसूता महिलाओं और बीमार बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी सड़क की बदहाली के लिये महकमे की लापरवाह निगरानी और ठेकेदारों की मनमानी को जिम्मेदार मान रहे हैं। ऐसे मे सवाल उठता है कि दूसरों की लापरवाही का खामियाजा इलाके की ग्रामीण जनता क्यों भुगते !