अल्मोड़ा- अल्मोड़ा जिले के जिस खजुरानी गांव की भूख ने सरकार को बैकफुट पर ला रखा है उस खजुरानी गांव में आज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पहुंच गए हैं।
चौखुटिया तहसील का खजुरानी गांव पहुंचने के लिए सड़क से 12 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है। फिर भी पीसीसी चीफ किशोर खजुरानी पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना भी दी।
मुलाकात के दौरान किशोर ने भूखमरी के हालात में जीते परिवार को 21 हजार रूपए की आर्थिक मदद भी दी। वहीं किशोर उपाध्याय ने मानवीय आधार पर समाज से ऐसे परिवारों की मदद की गुहार भी लगाई जो इस तरह के तंग हालात में जीने को मजबूर हैं।
किशोर उपाध्याय ऐसे पहले राजनीतिज्ञ हैं जो खाजुरानी गांव पहुंचे हैं। गौरतलब है कि इस गांव में सरिता नाम की एक लड़की की भूख से मौत हो गई थी। जिस पर द्वारहाट के भाजपा विधायक महेश नेगी ने सीएम त्रिवेंद्र रावत को खत भी लिखा था। जबकि सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कांग्रेस के तीन सदस्यीय समिति को गांव का दौरा कर रिपोर्ट देने को कहा था।
हालांकि सोशल मीडिया पर सरकार के पक्षकारों ने इस घटना को सूबे के मिजाज से मेल नहीं खाने वाली बता कर खारिज कर दिया था और झूठा बताया था। बहरहाल किशोर उपाध्याय के खजुरानी दौरे ने एक बार फिर से सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया है।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर अलग राज्य बनने के बाद भी कोई भी सरकार गांव मे दो जून की रोजी-रोटी क्यों पैदा नहीं कर पाई। इसी तरह के जलते सवालों के मरहम के लिए ही तो अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी।71 बेराजगारोंं ठाठ-बाठ के लिए राज्य की जंग नहीं लड़ी गई थी।
बहरहाल खजुरानी गांव की भौगोलिक और माली हालात लोक कल्याण कारी सरकारों की पोल खोल रही है कि 16 सालों मे इस राज्य में सिर्फ संसाधनों की बंदरबांट हुई है चाहे सरकार किसी की भी रही हो।