रुद्रप्रयाग- शीतकाल के लिए केदारधाम के कपाट आज बंद हो गए हैं। भैया दूज के मौके पर आज लग्नानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर बंद कर दिए गए। जय बाबा केदार के जयकारों के बीच बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति चल विग्रह डोली में शीलकालीन गद्दी स्थल ओमकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई। कपाट बंद होने से पूर्व मुख्य पुजारी बागेश लिंग बाबा केदार की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की।
पूजा के बाद बाद स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए विशेष पूजा के साथ शिव लिंग को भस्म से ढक दिया गया। इसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया।
इसके बाद बाबा केदार की मूर्ति मंदिर परिसर में रखी गई। यहां पर अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रशासन और श्रीबदरीकेदार मंदिर समिति के अधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के कपाट बंद हुए और चाबी उप जिलाधिकारी ऊखीमठ को सौंप दी गई।
इसके बाद बाबा केदार की डोली मंदिर की तीन परिक्रमा कर श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई। आज बाबा केदार की डोली रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। इस बीच डोली रुद्रा प्वाइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में भक्तों को आशीर्वाद देगी।
जबकि 22 अक्तूबर को डोली रामपुर से विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 23 अक्तूबर को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। यहां पर विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। उसके बाद बाबा केदार ओकारेश्वर भगवान के रूप में विराजमान होकर अगले छह माह तक पूरे शीतकाल में भक्त यहीं दर्शन देंगे।