दिल्ली –दिल्ली का जेएनयू विश्वविद्यालय एक बार फिर विवाद का अखाड़ा बन गया। उसकी वजह है 19 से 23 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह मनाने का कार्यक्रम। संस्कृत सप्ताह में योग और आयुर्वेद विषय के तौर चुना गया है और खबर है कि इसी बहाने जे.एन.यू यूनिवर्सिटी में एक साल के योग और आयुर्वेद सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने पर भी चर्चा की जा रही है जिसका वामपंथी छात्र संगठन विरोध कर रहे हैं। जबकि दक्षिणपंथी छात्र संगठन वाम दलों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं।
जेएनयू की उपाध्यक्ष शहला राशिद का कहना है कि सरकार योग और आयुर्वेद की आड़ मे विश्वविद्यालय का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है ।शहला राशिद का की माने तो जेएनयू जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का कोई तुक नहीं है। इसलिए नेशनल काउंसिल की बैठक में इस तरह के सर्टिफिकेट कोर्स का विरोध किया जाएगा।
भाजपा के अनुसांगिक छात्र संगठन से जुड़े छात्र नेताओं का मानना है कि जेएनयू में हर तरह के विचार का सम्मान किया जाता है लिहाजा योग-आयुर्वेद से परहेज कैसा ? इन छात्रों की माने तो नेशनल काउंसिल की बैठक में ये प्रस्ताव रखा गया है मगर लेफ्ट संगठनों ने इसका बिना कोई वाजिब तर्क दिए विरोध किया जोकि जेएनयू के आजाद वैचारिक संस्कृति की हत्या करने जैसा है। वहीं विश्व विद्यालय के संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा की माने तो आज योग-आयुर्वेद पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ रहा है और इससे जुड़े कोर्स रोजगार दिलानें मे सहायक हो रहे हैं। ऐसे में योग-आयुर्वेद के कोर्स का विरोध गलत है।