उत्तरकाशी। राज्य के पहाड़ी इलाकों में सेहत और गुणवत्ता वाली शिक्षा का सवाल यक्ष के प्रश्न की तरह हो गया हैं जिनका जवाब पिछले 16 सालों में एक भी सियासी युधिष्ठर नहीं दे पाया है। आलम ये है कि यहां एक कमरे में इंटर कॉलेज चलता है नतीजतन मास्टर मौज में रहते हैं इतनी मौज में कि सात महीने मे भी पहला चैप्टर पूरा नही हो पाता। ये हकीकत है उत्तरकाशी जिले के राजकीय इंटर कालेज गड़ूगाड़ की। यहां सरकारी शिक्षा की एक स्याह हकीकत ये है भी है कि कॉलेज के जर्जर भवन में मेज-कुर्सी तो छोड़िए बैठने के लिए बच्चों को टाट-पट्टी तक नसीब नहीं। जमीन पर बैठे छात्रों की नजर ब्लैक बोर्ड पर कम छत पर ज्यादा रहती है। मोरी से दस किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ के इस दूरस्थ स्कूल में जब मोरी के उप जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह नेगी ने निरीक्षण किया तो उनका स्वागत कालेज कैंपस में सूखते कपड़ों ने किया। कक्षा में पहुंचे तो हालत देख वह भी भौंचक रह गए। दर्जा 9 और दसवीं के बच्चों से बातचीत में जो सच सामने आया उसे सुन एसडीएम साहब भी दंग रह गए। आपबीती सुनाते हुए बच्चों ने बताया कि सत्र अप्रैल में शुरू हो चुका है लेकिन अंग्रेजी में अभी पहला पाठ भी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में छमाही की परीक्षा में बच्चों ने क्या लिखा होगा भगवान ही मालिक है। ऐसा नहीं कि यहां अंग्रेजी पढाने के लिए शिक्षक तैनात न हों शिक्षक हैं मगर उनकी अपनी हनक है। नतीजतन उप जिलाधिकारी ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी है और अंग्रेजी के शिक्षक के निलंबन और वेतन रोकने की संस्तुति भी कर दी है। दूसरी ओर स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य हरीश चंद्र ने खामियों को स्वीकार करते हुए इसके लिए कालेज की जर्जर इमारत और स्कूल में जारी असंगत टाइम टेबिल को जिम्मेदार ठहराया । उन्होंने कहा कि संस्कृत और अंग्रेजी का पीरियड स्कूल में एक कमरे में एक ही वक्त चलता है। ऐसे में दोनों शिक्षक असमंजस में रहते हैं। कभी अंग्रेजी की कक्षा लगती है तो कभी संस्कृत की। साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि विद्यालय में कुल नौ कमरे हैं, जिनमें से तीन नए हैं। इन तीनों नए कमरों में से एक कक्ष प्रधानाचार्य का है और एक में दफ्तर है। लिहाजा तीसरे बचे एक कमरे में ही क्लास लगती है। बाकि कमरों की हालत इतनी जर्जर है कि वहां क्लास लगाकर कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता।