देहरादून (मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को लेकर शिक्षा विभाग के आला अफसर बिलकुल भी चिंतित नहीं. यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए निशुःल्क मिलने वाली पुस्तकों के टेंडर को शिक्षा विभाग जारी नहीं कर पाया है।
एतिहासिक निर्णय को विभाग लागा रहा है पलिता
उत्तराखंड सरकार के द्धारा पूरे प्रदेश में इस साल से एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू करने का निर्णय लिया लेकिन प्रदेश सरकार के उसी निर्णय को शिक्षा विभाग पलीता लगा रहा है। एनसीईआरटी की पुस्तकों को छपवाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बिल्कुल गंभीर नहीं है और इसी का नतीजा है कि जुलाई का महीना शुरू होने को है और निशुःल्कु पुस्तकों का जो टेंडर होना है वह अभी तक हुआ नहीं है।
शिक्षा मंत्री नाराज,कार्रवाई के दिए निर्देश
शिक्षा विभाग के आलाअफसरों से शिक्षामंत्री अरविंद पाण्डेय लापरवाही बरतने को लेकर काफी नाराज है. सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय जब आज बैठक ले रहे थे और एनसीईआरटी पुस्तकों की छपाई का मामला जब सामने आया तो शिक्षा विभाग के आलाअफसरों से शिक्षा मंत्री नाराज हो गए और बैठक से उठकर चले गए। इतना ही नहीं बैठक के बीच में अधिकारियों ने पुस्तक न छपपाने के पीछे जो तर्क दिए, उससे नाराज होकर शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने मुख्यसचिव को फोन लगाकर सरकार के ऐतिहासिक निर्णय का पालन न करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए। अरविंद पाण्डेय का कहना कि जो भी अधिकारी इसके लिए दोषी है उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों को किताब उपलब्ध कराना मेरी जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग भले ही छात्रों के लिए किताब उपलब्ध न करा पा रहा हो लेकिन शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय का कहना कि वह हर हाल में छात्रों को किताब उपलब्ध कराएंगे चाहे उन्हे कुछ भी करना पड़े। छात्रों को किताब समय पर न मिल पाने को शिक्षामंत्री ने घोर लापरवाही बतायी।
शिक्षा महानिदेशक का तर्क
एनसीईआरटी की पुस्तकों की छपाई की पूरी जिम्मेदारी शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी के उपर है लेकिन जब खबर उत्तराखंड ने शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी से बात की तो उन्होने कहा कि कक्षा 3 से लेकर और कक्षा 8 तक के लिए और कक्षा 9 से 12 तक के लिए एससी-एसटी के लिए जो निशुःल्क पुस्तकों का टेंडर जारी हुआ था,उसके लिए आवेदन ही नहीं मिले इसलिए विभाग ने पहले कक्षा 1 से लेकर कक्षा 3 तक के लिए जिस आवेदक किताबें छापने के लिए ने टेंडर लिया था,उसी प्रकाशक से बात की लेकिन बाद में प्रकाशक ने हाथ खड़े कर दिए।
शासन को भेजा है प्रस्ताव
शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी कहते है कि अब विभाग ने शासन को प्रस्ताप भेज कर किताबें उपलब्ध कराने को लेकर तीन सुझाव दिए है, जिस पर शासन की मंजूरी का इंतजार है.पहला प्रस्ताव तो यही है कि एनसीईआरटी से ही किताबें खरीदी जाए, दूसरा प्रस्ताव ये है कि जिस मुद्रक ने कक्षा एक से 3 तक किताबें छापी है उसी को टेंडर दिया जाए और तीसरा सुझाव ये है कि ऐसे राज्य से जहां एनसीईआरटी की पुस्तके लागू हो वहां से किताबी खरीदी जाए।
कब मिलेगी किताबें बना हुआ है सवाल
इसे भी एक विडम्बना ही कहा जाएगा कि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय किताबों को छपवाने के लिए कह रहे है और शिक्षा विभाग को को शासन की मंजूरी का इंजतार है कि किताब की व्यवस्था कैसे करनी है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर किताबों को छापने को लेकर जो राशाकसी चल रही है उसे चाहे छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड रहा हो लेकिन समझ से परे ये है कि इससे शिक्षा के अधिकारियों को इससे क्या लाभ मिल रहा है।