संवाददाता । आप को मालूम है अगर भारत की मेघमणि आर्गेनिक्स कंपनी अमेरिका को अपना उत्पाद न बेचे तो अमेरिका के डॉलर्स का वजूद खतरे में आ जाए। संभव है कि जब तक अमेरिका को नया विकल्प न मिले तब तक अमेरिकी डॉलर्स का छपना बंद हो जाए। उसकी वजह है मेघमणी आर्गेनिक्स कंपनी की हरी स्याही। आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि अमेरिकी डॉलर भारत में बनी जैविक हरी स्याही से छपते हैं। ये हरी स्याही ऐसी है जिसको नकली नही बनाया जा सकता। इसकी वजह से अमेरिकी डॉलर की भी डुप्लिकेसी नहीं की जा सकती। हालांकि इस आर्गेनिक इंक की खोज 1857 मे प्रोफेसर थॉमर स्टेरी हंट ने की थी। वे मोन्टेरल के मेकगिल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उनकी इस खोज का लाभ देश के 80 देश उठा रहे हैं। मेघमणी आर्गेनिक्स कंपनी की हरी स्याही न तो किसी एसिड या दूसरे तरल पदार्थ से नष्ट हो सकती है और न ही इस हरी स्याही की छपाई की फोटोकॉपी की जा सकती है। अमेरिका सन 1862 से डॉलर छापने के लिए इसे इस्तेमाल कर रहा है।