उत्तरकाशी। भले ही प्रदेश सरकार पहाड़ो में वेहतर शिक्षा और स्वस्थय देने की बात कर रही हो । लेकिन सरकार की ये बातें खोखली नजर आ रही है। सराकर करे भी तो क्या। सिवाय दावों के? क्योंकि पहाड़ो के लिए धरती के भगवानों की या तो संवेदनाएं मर गई हैं या फिर पहाड़ों में रहना नहीं चाहते हैं। पहाड़ो के अस्पतालों में मानो डॉक्टर यहां केवल हाजरी लगाने आते उसके बाद न जाने कहां चले जाते हैं। तहसील बड़कोट के राना चट्टी के अस्पताल का कुछ ऐसा ही हाल है। यहां डॉ के नदारद के चलते किशोर ने मौत को गले लगा लिया। जिले के यमुनाघाटी अंतर्गत राना गांव निवासी दिनेश परमार के 14 वर्षीय पुत्र अखिल परमार को तेज बुखार होने पर स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहाँ डॉक्टर न होने से परिजनों को पीड़ित सहित अस्पताल से बैरंग लौटना पड़ा। बड़कोट अस्पताल पहुंचते समय किशोर की रास्ते में मौत हो गयी। घटना के बाद ग्रामीणों ने गैरहाजिर डॉक्टर और कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की मांग कर देर तक हंगामा काटा। घटना के सम्बन्ध में ग्रामीण सीएमओ उत्तरकाशी को घंटों फोन लगाते रहे लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल में एक डॉक्टर, दो फार्मासिस्ट, एक वार्ड बॉय और एक एएनएम सहित पांच कर्मचारियों की तैनाती है लेकिन अस्पताल में आय दिन ताले लटके मिलते हैं। इससे पूर्व भी यहाँ कोई डॉक्टर कर्मचारी न होने के कारण उपचार के अभाव में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। स्थानीय निवासी संदीप राणा ने कहा कि डॉक्टर और कर्मचारी हफ़्तों में एक दिन आकर हाजरी भरते हैं और उसके बाद अस्पताल में ताले लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते अस्पतालों का समय समय पर निरिक्षण नहीं होता जिस कारण कर्मचारी उपस्थिति मात्र दर्ज कर नौकरी कर रहे हैं। उपचार के अभाव में आय दिन मौतें हो रही हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।