देहरादून (हिमांशु चौहान)- लगता है सरकारी अस्पतालों का प्रबंधन संभालना अब सरकार के बूते से बाहर हो चुका है। आलम ये है कि पहाड़ों के अस्पताल डॉक्टरों से लेकर उपकरणों की तंगी से जूझ रहे हैं। जबकि मैदानों के सरकारी अस्पताल सरकार को कुछ समझ ही नहीं रहे हैं।
देहरादून के सबसे बड़े दून अस्पताल का तो भगवान ही मालिक है। बीते रोज स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने अस्पताल का औचक्क मुआयना किया कई हिदायतें दी बावजूद इसके रात गई बात गई वाले अंदाज में दून अस्पताल प्रबंधन ने सचिव सहाब की हिदायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया।
नतीजा जस का तस रहा अव्यवस्थाओ ने सुरसा की तहर मुंह खोला हुआ है लेकिन दून अस्पताल का प्रबंधन है कि बाज नहीं आ रहा है। अब तो हद ही हो गई है। आज सुबह अस्पताल में मरीज को दिए जा रहे खाने में मिले कॉकरेच ने दून अस्पताल की अव्यवस्थाओं की चुगली कर दी।
देखिए वीडियों किस तरह से बेहिचक मरीज को खाने मे काकरोच परोसा गया। सबसे हैरानी की बात तो ये है कि सूबे में स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री उठाए हुए हैं बावजूद इसके अस्पतालों का मरीजों के प्रति ये रवैया है।
यही वो वजह है जिसकी वजह से जनता सरकारी अस्पतालों के बजाए निजी अस्पतालो की ओर मजबूरी में रुख करती है। जबकि निजी अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की भीड़ सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस के लिए लुभाती है।