देहरादून- राठी गैंग का कुख्यात शूटक देवपाल राणा जिससे घमंड था अपने खौफ का अपनी ताकत का एक दिन ऐसी मौत मरेगा उसे भी इसका जमा भी अंदाजा नहीं रहा होगा. कोर्ट में पेशी के दौरान शूटरों ने उस पर धड़ा-धड़ गोली चला दी जिससे कुछ देर तड़पने के बाद उसकी मौत हो गई लेकिन क्या आप जानते है कुख्यात देवपाल गैंगस्टर उत्तराखंड पुलिस में कांस्टेबल था.
देवपाल की पत्नी थी ब्लॉक प्रमुख
एक तरफ उसकी जुर्म की दुनिया का बादशाह बना देवपाल के बारे में क्या आप जानते है कि उसकी पत्नी को ब्लॉक प्रमुख बनी थी जिसे कामयाब बनाने में पति देवपाल का हाथ था. यही नहीं वर्ष 2002 और 2007 में हरिद्वार जिले से बसपा के टिकट पर चुनाव लडने की भी चाहत रखता था। लेकिन उसकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकी।
40वीं वाहिनी हरिद्वार में था कांस्टेबल
क्या आप जानते हैं कुख्यात देवपाल राणा 1995 में 40वीं वाहिनी पीएससी हरिद्वार में कांस्टेबल था। जिसे विभिन्न आपराधिक घटनाओं में शामिल होने के चलते बाद में बर्खाश्त कर दिया गया। इसके बाद देवपाल ने सक्रिय रूप से जुर्म की दुनिया में पांव रखा। यही नहीं विभिन्न मामलों में जेलों में जाना और फिर जमानत लेकर छूटते छुटाते वह नेता भी बन गया। ननौता सीट से अपनी पत्नी को ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़वाया और उसे जिताने में कामयाबी पाई।
हालांकि पिछले चुनाव में वह अपने प्रतिद्वंदी ऋषिपाल राणा के सामने चित्त हो गया और यह सीट ऋषिपाल राणा के खाते में आ गई। इसके बाद देवपाल राणा की राजनीतिक चाहत कम नहीं हुई बल्कि और भी बढ़ गई।
सूत्रों के अनुसार देववाल ने वर्ष 2002 और 2007 में हरिद्वार जिले से बसपा के टिकट पर चुनाव लडने की पुरजोर कोशिश की। यह बात अलग है कि उसे टिकट नहीं मिल सका। देवपाल के आपराधिक रिकार्ड पर नजर डाले तो उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हत्या, लूट, गैंगवार और डकैती समेत कई जघन्य अपराधों के मामलों में कुल 16 मुकदमें हैं।
बताया गया है कि पुलिस की नौकरी करते समय सुनार के साथ लूटपाट की घटना में देवपाल का नाम उजागार हुआ था। इसके बाद उसने सहारनपुर, मुज्जफरनगर, बिजनौर के अलावा हरिद्वार जिले में कई घटना को अजाम दिया था। 05 अगस्त 2014 को रुड़की उपकारागार में हुई गैंगवार में शामिल होने के बाद देवपाल और अधिक सुर्खियों में आ गया।
इस घटना में देवपाल पर कुख्यात अमित भूरा, सुशील चौधरी, अजित विश्वाश उर्फ विशु के साथ हमला करने का आरोप था। जिसमें चीनू के तीन साथियों की घटना स्थल पर मौत हो गई थी। जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने फरवरी 2017 में कुरूक्षेत्र हरियाणा से गिरफतार किया गया था।
जीवा से जुड़े हैं देवपाल की हत्या के तार
देवपाल की हत्या के तार न केवल ऋषिपाल राणा बल्कि उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा से भी जुड़े हैं। सूत्रों की माने तो जिले में कई जमीनों के मामले में देवपाल जीवा के निशाने पर था। खबर यहां तक भी है कि इससे पहले कई बार जीवा ने देवपाल की हत्या का प्रयास भी किया। लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी।
बीते साल हरिद्वार में अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी की हत्या कराने का आरोपी संजीव दीक्षित उर्फ जीवा यूपी और उत्तराखंड के अपराधियों के लिए भी चुनौती बना हुआ है। जुर्म की दुनिया में जीवा के नाम का सिक्का चलता है।
यही कारण है कि राठी गैंग समेत अन्य गैंगों के साथ जीवा का छत्तीस का ही आंकड़ा रहा है। यहां यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि राठी गैंग प्रापर्टी का कारोबार देवपाल के जरिए मैनेज करता था। वहीं जीवा की भी इस कारोबार में खासी दखल है।
सूत्रों की माने जमीन विवाद के चलते ही कई बार जीवा, देवपाल के आड़े आया और दोनों में कई बार ठनी। बताया जाता है कि काफी समय से देवपाल, जीवा के निशाने पर था। सूत्रों के मुताबिक जहां ऋषिपाल राणा देवपाल से रंजिश रखता था, तो इसी की फायदा जीवा भी उठाना चाहता था। ऐसे में माना जा रहा है कि इस हत्या के पीछे जीवा गैंग के भी तार जुड़े हैं।
अगर देवपाल के हाथों में हथकड़ी होती तो शायद देवपाल बच जाता। जिस समय देवपाल को पेशी के लिए रामनगर कोर्ट में पुलिस सुरक्षा के बीच लाया गया। उस समय उसे हथकड़ी नहीं पहनाई गई थी। अक्सर ये होता है कि बड़े अपराधियों के साथ पुलिस बिना हथकड़ी के पेशी पर लाया जाता है जबकि छोटे अपराधियों को बाकायदा हथकड़ी पहनाकर लाया जाता है। सोमवार को भी यही हुआ।
देवपाल के हाथ में न हथकड़ी थी और घटना के दौरान उसके साथ मौजूद पुलिसकर्मी भी छितर बितर हो गए। ऐसे में यदि हथकड़ी होती तो उस हथकड़ी को पकडने वाले पुलिसकर्मी कहीं न कहीं उसे बचाने के लिए ज्यादा मेहनत करते।