देहरादून- जी हाँ, हर मुद्दे पर जीरो टालरेन्स की बात करने वाले सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाक के नीचे ही उनके खासमखुलास लोग ही जब जीरो टॉलरेंस की धज्जियाँ उड़ाने पर आमादा हो जाएँ तो ऐसे में सरकार के जीरो टालरेन्स के दावों की हवा निकलना स्वाभाविक है।
मामला देहरादून के आरटीओ का पौड़ी तबादला व पौड़ी आरटीओ के देहरादून तबादले का
ताजा मामला देहरादून के आरटीओ का पौड़ी तबादला और पौड़ी आर टी ओ के देहरादून तबादले से जुड़ा है. गौरतलब बात ये है कि देहरादून के आर टी ओ सुधांशु गर्ग का तबादला उनके कार्य क्षेत्र में गृह जनपद आने का हवाला देकर किया गया है वहीँ दूसरी ओर पौड़ी से देहरादून लाये गए आर टी ओ दिनेश पठोई की बात की जाए तो पठोई का गृह जनपद टिहरी है जो की देहरादून आर टी ओ क्षेत्र में ही आती है, तो ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि गृह जनपद के आधार पर किया गया तबादला तो महज तबादले के नाम पर एक खेल है…आइये जानते हैं कि कैसे हुआ खेल और क्या है जीरो टालरेन्स की धज्जियाँ उड़ाने का राज।
इस पूरे खेल के पीछे भाजपा के एक मेयर पद के उम्मीदवार का हाथ
दरअसल खबर उत्तराखंड को अपने ख़ास सूत्रों से पता चला है की इस पूरे खेल के पीछे भाजपा के एक मेयर पद के उम्मीदवार जोकि टीएसआर के काफी नजदीक माने जाते हैं उन्होंने पूरे मामले की रूप रेखा रची और यही नहीं मेयर के चुनाव के लिए एक अटैची भी प्राप्त की दिनेश पठोई से और पूरा खेल रच डाला। पूरे खेल की हवा अब मीडिया में आते ही कानाफूसी का दौर शुरू हो चला है।
बहरहाल इसी बीच खबर ये है कि गृह जनपद के नाम पर हुए खेल के आधार पर सुधांशु गर्ग हाईकोर्ट जा रहे हैं, वहीँ अटैची प्राप्त कर चुके स्वय्मभू मेयर साहब अब सुधांशु के ऊपर दबाव बनवाने में जुटे हुए हैं।
ऐसे में सवाल ये उठता है की मुख्यमंत्री के करीब रहने वाले लोग जब जीरो टालरेन्स की धज्जियाँ उड़ाएंगे तो मुख्यमंत्री के जीरो टालरेन्स के दावे जमीन पर हवा हवाई ही नजर आयंगे, तो सी एम साहब आँखे खोलिये और इमेज बचाइये।