चमोली- उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवा खुद बीमार है और इतनी बीमार है कि सात बार के मुख्यमंत्रियों की सरकार राज्य नें देख ली लेकिंन मर्ज का इलाज नहीं हुआ। किसी भी निजाम का स्वास्थ्य सेनापति राज्य में सेहत के सरकारी महकमें को दुरुस्त नही कर पाया। आज हालात ये हैं कि रोग लाईलाज की स्थिति में पहुंच गया है।
राज्य के स्वास्थ महकमें में चिकित्सकों के कुल 2690 पद सृजित हैं लेकिंन ताज्जुब की बात है कि इनमें से आधे से ज्यादा यानि 1588 पद रिक्त चल रहे हैं। पहाड़ी जिलों की स्थिति तो और भी खौंफनाक है गढ़वाल मंडल के पांच पहाडी जिलों पौड़ी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली पर नजर डालें तो तस्वीर बड़ी डरावनी दिखाई देती है । इन पांचों जिलों में चिकित्सकों के 987 पद हैं लेकिंन हैरत की बात है कि पहाड़ के अस्पतालों में महज 301 डॉक्टर ही तैनात हैं।
चमोली जिले की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां चिकित्सकों के 173 पद मंजूर हैं, लेकिन तैनात सिर्फ 60 डॉक्टर ही हैं। आलम यह है जिले में सर्जन के नौ पद सृजित हैं, मगर पूरे जिले में एकमात्र सर्जन ही अपनी सेवा दे रहे हैं कर्णप्रयाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 16 साल में कोई भी सरकार इस मर्ज का कोई ईलाज क्यों नहीं ढूंढ पाई।