कपकोट(बागेश्वर):- दो ‘स’ और एक ‘श’ की तंगी ने सूबे की पहाड़ी आबादी को विद्रोही बना दिया है। इनकी कमी पहाड़ के सीनें पर भारी भरकम बोझ साबित हो रही है। निचली प्रशासनिक ईकायां विद्रोह के स्वरों से हलकान है।लगता है 16 साल से ठंडे पड़े हिमशिखरों पर कुछ हलचल है विकास की मांग का रणसिंघा बज रहा है उखीमठ हो या कपकोट की तलहटी शिखरवासियों की आवाज से गूंज रही है । ये बात अलग है कि हूकूमत पिछले 16 सालों से सोई हुई है। वरना क्या जरूरत थी फिर से आंदोलन की।
दो ‘स’ का मतलब सड़क और सेहत से है, जबकि ‘श’ का मतलब शिक्षक से है। गुणवत्ता की बात तो छोड़िए कसम खाने के लिए भी इनका अकाल है। 16 साल बाद भी पहाड़ के स्कूलों में मास्टर नहीं हैं, अस्पतालों मे डाक्टर नहीं है और पहाड़ी पर बसे घर में जाने के लिए सड़क नहीं है। लिहाजा मजबूर आबादी या तो पलायन करने को मजबूर है या फिर हूकूमत के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार। फिर भी नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है।
बागेश्वर की कपकोट तहसील के तोली और पोथिंग गांव के ग्रामीण अपनी 14 सूत्रीय समस्याओं के निराकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ज्ञापन, धरना प्रदर्शन नारेबाजी से आगे अनशन और जेल भरो आंदोलन तक पंहुच गया है लेकिन मजाल क्या शासन प्रशासन के कानों में जू जो रेगी हो। मंगलवार को भी अपनी मांग को लेकर तोली व पोथिंग के ग्रामीणों का आंदोलन जारी रहा। ग्रामीणों ने सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की और चेतावनी दी,कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो जिला मुख्यालय में डीएम का घेराव किया जाएगा।
उधर विकास की मांगों को लेकर आमरण अनशन पर डटे आंदोलनकारियों की सेहत में गिरावट दर्ज की गई है।पोथिंग और तोली के ग्रामीणों ने गांव में बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया है। आंदोलित ग्रामीणों की माने तो प्रदेश सरकार पोथिंग और तोली गांवों की उपेक्षा कर रही है। गांव में न सड़क की सहूलियत है, न ढंग की शिक्षा व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा के टोटे का तो कहना ही क्या! इसके अलावा दूसरी सुविधाओं का भी अभाव है। गांव वालों ने पहले भी आंदोलन किया था। तब जिला प्रशासन ने सभी समस्याओं के निराकरण के लिए लिखित समझौता किया था लेकिन उसे आज तक लागू नहीं किया जा सका।
आंदोलनकारी कहते हैं सरकार व जिला प्रशासन ग्रामीणों को गुमराह करते हैं, लेकिन ग्रामीण इस बार समझौते के मुताबिक शासनादेश जारी होने तक आंदोलन पर डटे रहेंगे। अनशन में बैठे हिमांशु, नरेंद्र सिंह, प्रकाश चंद्र व गंगा सिंह के स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है। सभा को कई ग्रामीणों नें संबोधित किया जिनमें भूपाल सिंह, हरीदत्त जोशी, उमेद सिंह, कुंदन सिंह, गणेश जोशी, खुशहाल सिंह, हरीश जोशी और मदन सिंह समेत कई आंदोलनकारी शामिल थे।
इससे पहले सोमवार को पोथिंग व तोली से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए भारी तादाद मे ग्रामीण आए। गांव वालों ने कपकोट तहसील का घेराव कर गिरफ्तारी दी। सहूलियतों से महरूम ग्रामीणों को उम्मीद थी कि वह सड़क, शिक्षक और डॉक्टर की स्वीकृति लेकर ही वापस जाएंगे अपनी मांगों के लिए ग्रामीणों नें प्रदर्शन भी किया और गिरफ्तारी भी दी। आंदोलन में गांव की वृद्ध महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लेकर एक बार फिर से उत्तराखंड राज्य आंदोलन की याद ताजा कर दी।