निकाय और पंचायत चुनावों की तैयारियों में जुटी टीएसआर सरकार को भाजपा हाईकमान से कुछ कड़े संकेत मिले हैं।
बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र रावत कैबिनेट में शामिल कुछ मंत्रियों के सुस्त रवैए से भाजपा हाईकमान नाराज है।
हाईकमान को लगता है कि उन मंत्रियों के महकमे में काम काज की रफ्तार डबल इंजन जैसी नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आलाकमान ने सीएम त्रिवेंद्र रावत को खुली छूट दी है। सीएम चाहें तो मंत्रियों के पोर्टफोलियो में बदलाव भी कर सकते हैं। आलाकमान को सरकार के कलेवर में बदलाव मंजूर है लेकिन ढीलापन गवारा नहीं।
बहरहाल आलाकमान की राय सुनकर टीएसआर कैबिनेट में बेचैनी का आलम है। आलाकमान तक दखल रखने वाले कुछ मंत्रियों को छोड़ दिया जाए तो हर कोई अपनी दाड़ी सहला रहा है ताकि किसी तिनके की गुजांइश न रहे।
माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के नतीजों से सहमा भाजपा आलाकमान लोकसभा चुनाव में किसी तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता । आलाकमान को महसूस होने लगा है कि जनता को अब सिर्फ सुनाकर ही खुश नहीं किया जा सकता बल्कि जमीन पर भी कुछ कर के दिखाना होगा।
ऐसे में आलाकमान की मंशा है कि विकास की रफ्तार मे तेजी लाने के लिए टीएसआर अपने मंत्रियों के पेंच कसें ताकि लोकसभा की चुनावी रैलियों में जनता को बताया भी जा सके कि डबल इंजन की सरकार ने विकास के कौन कौन से प्लेटफार्म पार किए हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनो सूबे के मुख्यमंत्रि त्रिवेंद्र रावत ने दिल्ली दौरे के दौरान जहां कई कैबिनेट मंत्रियों से राज्य हित में चर्चा करते हुए उत्तराखंड की पैरवी की थी वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की थी।
खबर है कि आलाकमान ने टीएसआर को उनके तीन मंत्रियों डबल इंजन के काबिल नहीं बताया। माना जा रहा है कि जब राज्य में दायित्वों की जिम्मेदारी दी जाएगी उसी दौरान मंत्रीमंडल के विस्तार के दौरान सुस्त मंत्रियों का पोर्टफोलियो बदला जा सकता है।
हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि इस खबर के आने के बाद सभी मंत्रालयो में तेजी आ जाएगी और आलाकमान को खुश किया जाएगा ताकि बदलाव की बात सिर्फ हवा-हवाई साबित हो।