नैनीताल- हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक का सबसे बड़ा झटका देते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनी विनियमितीकरण नियमावली-2016 को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने सीधी भर्ती के पदों पर संविदा व अस्थायी कर्मचारियों की बजाय नियमित भर्ती करने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट के फैसले से राज्य के करीब पांच हजार से अधिक सरकारी नियुक्ति पा चुके कर्मचारियों की नौकरी संकट में पड़ गई है। हालांकि सरकार के पास एकलपीठ के फैसले के खिलाफ अपील का विकल्प है।
नैनीताल हार्इकोर्ट ने अस्थार्इ और संविदा कर्मियों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 2016 की नियमावली को निरस्त करते हुए इन पदों पर सीधी भर्ती के आदेश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हल्द्वानी निवासी एक युवक ने अस्थार्इ और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के फैसले को चुनौती करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर सुनवार्इ करते हुए हार्इकोर्ट ने 2016 की नियमावली के अनुसार नियमित किए गए संविदा और अस्थार्इ कर्मचारियों को हटाने का फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने साथ ही इन पदों को भरने के लिए सीधी भर्ती का आदेश दिया है। कोर्ट का ये भी कहना है कि अगर सरकार चाहे तो इन अस्थाई कर्मियों को वेटेज व आयु में छूट दे सकती है।
पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां राज्य में हजारों की संख्या में नियमित और नियमितीकरण की बाट जोह रहे कर्मचारियों को झटका लगा है, वहीं राज्य सरकार भी सकते में है। इस बारे में अग्रिम कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि वह कर्मचारियों के साथ है और कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।
सरकार के प्रवक्ता एवं काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। इसका अध्ययन कर आगे की तैयारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ है और इस आदेश के सिलसिले में रिव्यू में जाएगी।