देहरादून। जुमे की नमाज के लिए अल्पसंख्यक वर्ग को 90 मिनट का अवकाश देने के मसले पर हरीश रावत सरकार को आखिरकार बैकफुट पर आना पड़ा है। हरीश रावत सरकार ने अब मुस्लिमों के साथ साथ अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी अति अल्प अवकाश देने का ऐलान किया है। हरीश रावत सरकार के जुमे की नमाज के लिए मुस्लिमों को डेढ़ घंटे के अल्पकालिक अवकाश देने की घोषणा ने सियासी रंग ले लिया। हालांकि उत्तराखंड में मुस्लिमों की आबादी बहुत अधिक नहीं है। 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी का 13 फीसदी के ही आस पास ही मुस्लिमों की आबादी है। अन्य धर्मों को मानने वाले भी कम ही हैं। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि हरीश रावत जैसा राजनीतिक खिलाड़ी ऐन चुनावों से पहले अपने बड़े वोटर वर्ग को नाराज करने के लिए ऐसा कदम क्यों उठाएगा। हालांकि बीजेपी अपनी पार्टी लाइन के मुताबिक हरीश रावत का विरोध कर रही है।हालांकि शनिवार को जुमे की नमाज के लिए छुट्टी देने के फैसले के दो दिन बाद सोमवार को ही रावत सरकार को अपने फैसले में कमी का एहसास हुआ और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने सरकार की ओर से अन्य धर्मों और जातियों के लिए भी विशेष पर्व त्यौहारों पर अति अल्प अवकाश देने का ऐलान कर दिया। हरीश रावत सरकार ने अपने हिसाब से डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश कर ली है। लेकिन चुनावी साल में हरीश रावत के इस कदम के परिणाम क्या होंगे ये खुद वो भी तय नहीं कर सकते हैं।