देहरादून- टीएसआर सरकार पर तीरों की बौछार ही नहीं अब शंका भी होने लगी है। कहां पहले दिन बड़ी उम्मीदों के साथ भ्रष्ट्राचार पर जीरो टॉलरेंस की बात हुई थी। हमे कम मत समझना की तर्ज पर एक महीने के भीतर मजबूत लोकायुक्त की बात हुई थी।
लेकिन जब मौका आया तो टीएसआर सरकार बैकफुट पर आ गई। लोकायुक्त बिल को अध्ययन के लिए प्रवर समिति को दिया। उसको अपनी रिपोर्ट संशोधनों के साथ एक महीने के भीतर सौंपने को कहा गया लेकिन अब लोकायुक्त 100 दिन के भीतर देने की बात होने लगी।
हालांकि बाल की खाल निकालने वालों का मानना है कि सरकार को जनता के बीच दिखाने के लिए लोकायुक्त का शेर तो चाहिए लेकिन साथ ही साथ सर्कस वाला ऐसा शेर चाहिए जो रिंग मास्टर के हुक्म की तामील करता हो।
बहरहाल अब सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी लोकायुक्त को लेकर मौजूदा सरकार पर अपनी फेसबुक वॉल के जरिए तीर चलाए हैं। हरीश रावत ने अपनी फेसबुक वॉल को अपडेट करते हुए लिखा है-
लोकायुक्त पर दो शब्द-
क्या उत्तराखण्ड को ऐसा लोकायुक्त चाहिए, जो मुख्यमंत्री आदि को एक नजर से और शेष को दूसरी नजर से देखेगा। कहां है इस लोकायुक्त बिल की किताब, क्या ऐसा ही होगा सर्वश्रेष्ठ लोकायुक्त।