अल्मोड़ा : जिले के किसानों को अब अपनी जड़ी-बूटी फसल के मूल्य के लिए भटकना नहीं पडेगा जीहां उनको अपने ही गांव में अपनी फसल का पैसा मिल जाएगा। बीते दिनों प्रशासन के प्रस्ताव के बाबत जिला आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी ने शांतिकुंज हरिद्वार के श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट के निदेशक से पैरवी की। जिस पर निदेशक ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
प्रस्ताव के अनुसार अब गायत्री ट्रस्ट की दो सदस्यीय विशेषज्ञ टीम जिले में आकर किसानों की उगाई जड़ी-बूटियों की जांच करेगी। उसके बाद गुणवत्ता सही पाए जाने पर इनकी खरीद मौके पर ही करने के बाद भुगतान किया जाएगा। इस प्रस्ताव का सहमति पत्र निदेशक ने डीएम को भेजा है।
जिला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत तिवारी ने बताया कि जिले में बड़ी संख्या में किसान यहां की दुर्लभ प्रजाति की जड़ी-बूटी जटामांसी, कुटकी, हस्तिककी व पुनर्नवा का उत्पादन करते हैं। लेकिन वाजिब मूल्य बाजार में न मिलने के कारण आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हो पा रहे। इस समस्या के समाधान व जड़ी-बूटी खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बीते दिनों डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने पहल की थी। जिसमें उनकी तरफ से शांतिकुंज
हरिद्वार के श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट के निदेशक डॉ. प्रणव पांड्या को पत्र लिखकर यहां पर उगाई जा रही बेशकीमती जड़ी-बूटियों की जानकारी दी गई। साथ ही प्रस्ताव दिया गया कि यदि ट्रस्ट की तरफ से आवश्यक हो तो बड़े पैमाने पर यहां से जड़ी-बूटी की आपूर्ति की जा सकती है। बशर्ते उत्पादक किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य मौके पर ही मिल जाए। इस प्रस्ताव पर निदेशक की तरफ से अपनी सहमति डीएम को पत्र लिखकर दी गई है।
जल्द ही आएगी ट्रस्ट की टीम
जिले में जड़ी-बूटी उत्पादक किसानों से खरीद के लिए ट्रस्ट की तरफ से संचालित शांतिकुंज फार्मेसी के विशेषज्ञ डॉ. वंदना श्रीवास्तव व अनिल उपाध्याय को नामित किया गया है। जो यहां पर आकर जड़ी-बूटी की जांच करेंगे। साथ ही सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य मौके पर ही दे दिया जाए। ताकि उनको भटकना न पड़े। आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में शीतलाखेत, लमगड़ा, धौलछीना, सहित दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों में जड़ी-बूटी का उत्पादन बड़ी संख्या में किसान करते हैं।