हरिद्वार(नरेश तोमर)- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। उनके निधन के बाद देश के साथ-साथ धर्मनगरी हरिद्वार में शोक का माहौल है। अटल जी का हरिद्वार और गंगा से विशेष लगाव था। वे हमेशा यहां एक साधारण व्यक्ति के तौर पर आते थे, साधारण ढ़ंग से यहां एक छोटी सी धर्मशाला में रुकते थे। उस दौर में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद वे एक आम नागरिक की तरह सड़कों पर घूमने निकल जाया करते थे। अंदाज में बेफिकरापन और चेहरे पर मुस्कान, हरिद्वार में अटल जी की ये ही पहचान थी। हरिद्वार के राम घाट पर गंगा किनारे बनी जयपुरिया धर्मशाला अटल बिहारी वाजपेयी की पसंदीदा जगह हुआ करती थी। बाजार में कुछ दुकानें भी उनकी पसंदीदा हुआ करती थी। जहां जाकर न केवल वे बैठा करते थे बल्कि लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। उस दौर में वाजपेयी जी से जुड़े लोग बताते हैं इतने सरल स्वभाव का राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्होंने आज तक नहीं देखा।
त्रिपाठी जो अटल जी के थे खास, उनके बिना वो हरिद्वार में कदम नहीं रखते थे
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से धर्मनगरी में शोक छा गया। भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने दिवंगत नेता को श्रद्धासुमन अर्पित किए। बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जो की अटल जी के खास थे उनके बिना वो हरिद्वार में कदम नहीं रखते थे. उनको अटल जी के निधन पर गहरा शोक पहुंचा. उन्होंने बताया की उनके निधन को राजनीतिक के एक युग की समाप्ति बताया। अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व दलों से कई ऊपर था। वे सर्वमान्य नेता थे। भाजपा के लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पण किया वे राजनीति, पत्रकारिता और काव्य हर विधा के शिखर पर रहने वाले अटल निसंदेह युग पुरुष और आजाद शत्रु रहे। मेरे परम मित्र रहे जब भी हरिद्वार आगमन हुवा सिर्फ मुझे पता होता था की वो आ रहे हैं उनमे सादगी इस कदर थी की वो अपना बड़पन्न किसी के ऊपर थोपते नहीं थे.
कचौड़ी और चाट खाने के बेहद शौकीन थे वाजपेयी
कचौड़ी और चाट खाने के बेहद शौकीन वाजपेयी हरिद्वार आकर जयपुरिया धर्मशाला के पास बाजार में चाट और टिक्की न खा लें तब तक उन्हें लगता ही नहीं था कि वे हरिद्वार आये हैं.
यहीं खिड़की से गंगा को निहारते थे, कि गंगा को स्वच्छ निर्मल कैसे बनाया जाये
जिस समय वाजपेई भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तब वे कई बार हरिद्वार आए थे। जब राकेश वशिष्ठ बताते हैं कि वे एक साधारण व्यक्ति की तरह हरिद्वार आते थे औऱ लोगों से मिलते थे. यहीं जैपुरिया हाउस में कमरा नंबर 24 में ठहरते थे. यहीं खिड़की से गंगा को निहारते थे गंगा को स्वच्छ निर्मल कैसे बनाया जाये हमेशा इस कमरे में वार्ता करते थे. इसी छोटे से कमरे में वो बीजेपी के नेताओं से मंत्रणा करते थे. वह जब भी हरकी पैड़ी गए और गंगा स्नान करते थे और पैदल ही जाया करते थे. उनसे मिलकर किसी को नहीं लगता था कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा की अटल जी के जाने से ऐसा लग रहा है जैसे कोई परिवार का उन्हें छोड़ कर चला गया।
अटल जी ने साफ कह दिया था कि वो पूरे हरिद्वार के बिना उत्तराखंड की कल्पना भी नहीं कर सकते
कहा जाता है कि जब उत्तराखंड बना तब हरिद्वार, ग्रामीण रुड़की, भगवानपुर जैसे इलाके कई महीनों तक उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा थे। राज्य के नेताओं ने सिर्फ हरिद्वार के मेला क्षेत्र को ही उत्तराखंड में शामिल करवाया था, लेकिन यह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सोच थी कि उन्होंने प्रदेश के नेताओं से यह साफ कह दिया था कि वो पूरे हरिद्वार के बिना उत्तराखंड की कल्पना भी नहीं कर सकते।