संवाददाता। विस्फोटक बल्लेबाज विरेंद्र सहवाग का आज 38वां जन्म दिन है। आइए जानते हैं उनके व्यक्तिगत जीवन से कीर्तिमान तक का सफर ।
वीरु का व्यक्तिगत जीवन
वीरेद्र सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के एक जाट परिवार में हुआ था। सहवाग अपने माता-पिता के चार बच्चों में तीसरी संतान हैं। सहवाग से बड़ी दो बहनें मंजू और अंजू हैं जबकि उनसे छोटा एक भाई है विनोद हैं। सहवाग के पिता किशन सहवाग बताते हैं कि वीरू में क्रिकेट के लिये प्यार सात माह की उम्र से ही जाग गया था जब उन्होंने पहली बार वीरू को खिलौना बैट लाकर दिया था। हालांकि दिलचस्प बात ये है कि वीरू बारह साल की उम्र में क्रिकेट खेलते हुए अपना दाँत तुड़वाकर जब घर पहुँचे थे तो पिता ने उनके क्रिकेट खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। बाद में वीरू की माँ कृष्णा सहवाग के हस्तक्षेप के बाद ही यह प्रतिबन्ध हटा। उसके बाद तो क्रिकेट उनकी जिन्दगी का पहला प्यार बन गया था। अब वीरेद्र सहवाग दो पुत्रों के पिता हैं। साल 2004 में उन्होंने शादी की थी उनकी धर्मपत्नी का नाम आरती है और अब सहवाग अपने परिवार के साथ दिल्ली के नज़फगढ इलाके में रहते हैं।
विस्फोटक बल्लेबाज का खिलाड़ी जीवन
वीरेन्द्र सहवाग भारत के ऐसे बल्लेबाज रहे हैं जिनके टीम में आने के बाद भारत का खेलने का अंदाज बदल गया था। वीरू जब तक टीम इंडिया में रहे दुनिया का हर गेंदबाज उनसे खौंफ खाता रहा है। वीरू की आतिशी बल्लेबाजी के अंदाज कई क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। युसूफ पठान तो वीरेंद्र सहवाग को ही अपना आदर्श मानते हैं। सहवाग जब तक भारतीय टीम मे रहे उन्होंने हमेशा टीम को बहुत तेज शुरुआत दी और हमेशा आते ही विपक्षी गेंदबाजों पर हावी रहे। सहवाग अगर अपने फॉर्म में होते तो किसी भी आक्रमण को ध्वस्त करने की क्षमता रखते थे। सहवाग जब तक क्रीज पर रहते थे तब तक विरोधियों के माथे पर उनकी क्रीज पर मौजूदगी का खौफ साफ-साफ देखा जा सकता था। “नज़फगढ़ के नवाब”, “मुल्तान के सुल्तान” और “जेन मास्टर ऑफ़ माडर्न क्रिकेट” जैसे अनेक उपनामों से नवाज़े जाने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ने अपना पहला अन्तरराष्ट्रीय मैच 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। इस मैच में सहवाग एक रन बनाकर चलते बने और गेंदबाजी के दौरान तीन ओवरों में 35 रन दे डाले। इसके बाद सहवाग को काफी समय तक टीम में शामिल नहीं किया गया। दिसम्बर 2000 में जिम्बाब्वे के खिलाफ घरेलू सीरीज में सहवाग को फिर से भारीतीय टीम में वापसी का मौका मिला। अगस्त 2001 में श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ ट्राई सीरीज में सहवाग ने पारी की शुरुआत करते हुए कैरियर का पहला अर्धशतक जमाया। इसी सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ 69 गेंदों पर शतक ठोककर सहवाग ने अपने हुनर का नमूना पेश किया था,उसके बाद सहवाग ने एक लंबे अर्से तक मुडकर नहीं देखा।
मुल्तान के सुल्तान के नाम कीर्तिमान
मार्च 2010 में उन्होंने हैमिल्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ सिर्फ 60 गेंदों पर शतक बनाया था। टेस्ट क्रिकेट में पहले विकेट के लिये सबसे बड़ी साझेदारी का रिकार्ड भी सहवाग के ही नाम है। राहुल द्रविड़ के साथ 410 रन की साझेदारी का रि्कार्ड भी वीरू के ही नाम है। एकदिवसीय क्रिकेट मैच में उनका सर्वाधिक स्कोर 219 रन है। सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैच में 2 बार तिहरा शतक जड़ा है। सर डोनाल्ड ब्रेडमैन और ब्रायन लारा के बाद सहवाग दुनिया के तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी बल्लेबाज द्वारा यह सबसे तेज गति से बनाया गया तिहरा शतक (319 रन) भी है। तीन सौ उन्नीस रन बनाने के लिये उन्होंने सिर्फ़ 278 गेंद ही खेलीं थी। तीस से ज्यादा औसत के साथ सहवाग का स्ट्राइक रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा वह दुनिया के एकमात्र ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैचों में दो तिहरे शतक बनाने के साथ एक पारी में पाँच विकेट भी हासिल किये हैं।
नज़फगढ़ के नवाब के नाम पर खिताब
नज़फगढ़ के नवाब को भारत सरकार ने 2002 में अर्जुन पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त उन्हें 2008 में अपने शानदार प्रदर्शन के लिये “विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड” के सम्मान से नवाजा गया। सहवाग ने इस पुरस्कार को 2009 में दुबारा अपने नाम किया। 2011 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर होने के नाते “ईएसपीएन क्रिकीन्फो अवार्ड” भी दिया गया था। बहरहाल सहवाग जब तक टीम इंडिया मे रहे अपने बल्ले से आग उगलते रहे। आज उनका जन्मदिन है ऐसे में खबर उत्तराखंड डॉट कॉम की ओर से सहवाग को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामानाएं। जुग-जुग जियो सहवाग।