चमोली- जैसे जैसे बारिश थम रही है श्रीबदरीनाथ के दर्शनार्थियों की तादाद धीरे-धीरे बढ रही है । मगर पेयजल महकमे के कामकाज को देखकर लग रहा है कि उसे इस से कोई सरोकार नही है। अगर होता तो देश के आखिरी गांव से लेकर वसुधारा तक वो पीने के पानी का इंतजाम जरूर करता। नतीजतन मुसाफिरों को यहां के सफर के दौरान मोल का पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ताजा हालात ये हैं कि श्री बदरीनाथ धाम में आजकल हर रोज तकरीबन 500 श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे हैं। यात्री भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने के बाद देश के अंतिम गांव माणा, वसुधारा, भीमपुल आदि धाíमक पर्यटन स्थलों की भी यात्रा करते हैं। लेकिन लगता है कि यात्रियों की सहुलियतों को लेकर अब प्रशासन उतना मुस्तैद नही है। भीमपुल से लेकर वसुधारा तक छह किलोमीटर के पैदल ट्रैक पर पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है।
भीमपुल के निकट जल संस्थान ने एक पानी की टंकी का निर्माण भी किया था, लेकिन महकमे की टंकी एक साल से खुद प्यासी है। इस बावत जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि आपदा के चलते टंकी क्षतिग्रस्त हो गई है इसलिए इस पर पानी नहीं चल पा रहा है। ऐसे हालात में यात्री अगर भीमपुल से आगे वसुधारा व दूसरे धाíमक पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए प्लान बना रहे हैं तो प्यास बुझाने के लिए मोल का पानी खरीद रहे हैं।
गौरतलब है कि भीमपुल से लेकर वसुधारा के बीच कहीं भी कोई प्राकृतिक जल स्रोत नहीं हैं। स्थानीय निवासियों की माने तो इस रूट पर जल संस्थान से कई बार पेयजल सहूलियत मुहैया कराने की मांग की जा चुकी है लेकिन महकमा अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जाग रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सैलानियों का ख्याल नही रखा जाएगा तो प्रदेश पर्यटन प्रदेश कैसे बनेगा।