उत्तराखंड में राजनीतिक परिस्थितियां किसी भी समय बेहद तेजी से बदल सकती हैं। डबल इंजन की सरकार चला रही भाजपा सरकार के मंत्रियों के बीच चल रही रस्साकसी अब इस हालत में पहुंच चुकी है कि वो शीतयुद्ध में बदल गई है। ऐसे में करप्शन के खिलाफ धर्मयुद्ध की बात करने वाले मुख्यमंत्री को हालात संभालना भारी पड़ सकता है।
उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बने अभी तकरीबन दो महीने का समय ही बीता है लेकिन तलवारें मीलों लंबी खिंचती नजर आ रहीं हैं। कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के बीच आपसी तालमेल बिगड़ने लगा है। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों की महत्वकांक्षाएं उनका पीछा नहीं छोड़ रहीं हैं। ये सबकुछ नसीहत भरे बयानों और नाराजगी भरे खतों के तौर पर सामने भी आने लगा है।
हालिया चर्चा सतपाल महाराज के कैबिनेट बैठक में न पहुंचने के बाद शुरु हुई। माना जा रहा है कि नाराजगी के चलते सतपाल महाराज कैबिनेट की बैठक में नहीं पहुंचे। सतपाल महाराज की नाराजगी की वजह उनके हेलिकॉप्टर को लैंड करने की अनुमति न मिलने के मामले को सीएम के जरिए हल्के में लेना है। यही नहीं सीएम ने इसे तकनीकि मसला बता कर सतपाल महाराज के जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया
सूबे के दो अन्य कैबिनेट मंत्रियो की भी सीएम त्रिवेंद्र रावत से ट्यूनिंग बैठती नहीं दिख रही है। इनमें हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल शामिल हैं। हरक सिंह रावत कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री के लिए नसीहत भरे अपने एक बयान को लेकर चर्चाओं में रह चुके हैं। वहीं सुबोध उनियाल भी कुछ खास खुश नहीं दिखाई दे रहें हैं। पोर्टफोलिया एलाटमेंट के बाद से ही सुबोध उनियाल की खुशी कम हो गई है। एनएच 74 मुआवजा घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के ऐलान के बाद यशपाल आर्य भी असहज महसूस कर रहें हैं।
सबसे अधिक हैरान करने वाली बात विजय बहुगुणा की चुप्पी है। सरकार गठन के बाद से ही विजय बहुगुणा ने मानों राज्य से दूरी बना ली। हालात ये हैं कि विजय बहुगुणा को बीजेपी कार्यकर्ताओं को देखे ही महीनों हो जा रहें हैं।
राज्य की त्रिवेंद्र सरकार भले ही सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही है लेकिन राजनीतिक गलियारों की समझ रखने वाले बता रहें हैं कि सबकुछ ठीक नहीं है। शीतयुद्ध के हालात पैदा हो गए हैं। कैबिनेट मंत्रियों के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में अब मुश्किलें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की बढ़नी तय है क्योंकि एक तरह एनएच 74 के मुआवजा घोटाले में उनका ‘धर्मयुद्ध’ विषम हालात में है और अब दूसरी ओर ‘शीतयुद्ध’ की गरमी बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही डबल इंजन की सरकार को पूरी स्पीड से चलाए रखने की चुनौती है सो अलग।