देहरादून, संवाददाता- उत्तराखंड के महामहिम राज्यपाल के.के.पॉल ने जैसे ही कहा कि मै उम्मीद करता हूं उत्तराखंड में आयोजित होने वाला ये सम्मेल भारत और पूरी दुनिया के लिए कुछ नया लेकर आएगा, देहरादून के FRI का कॉनफ्रेंस हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
दरअसल देहादून के नामचीन भारतीय वन एवं अनुसंधान संस्थान में आज से राष्ट्रमंडल देशों के वानिकी सम्मेलन का आगाज हुआ। ये सम्मेलन सात अप्रैल तक चलेगा। सम्मेलन में सभी राष्ट्रमंडल देशों के वन विशेषज्ञ शिरकत कर रहे हैं।
सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए सूबे के राज्यपॉल के.के.पॉल ने राष्ट्रमंडल देशों के वन वैज्ञानिकों को संबोधित किया और उन्हे प्रकाश संस्लेषण पर और शोध करने के लिए प्रेरित किया। ताकि पर्यावरण संतुलित रहे।
वहीं राज्यपाल नें मौजूदा विकास की सोच को अदूरदर्शी करार देते हुए आबोहवा को नुकसान देने वाला बताया। राज्यपाल ने कहा कि विकास के लिए वनों का बेतहाशा दोहन हो रहा है जिसका असर वायुमंडल पर पड़ रहा है। ग्रीन हाऊस गैंसों की मात्रा बढ़ रही है।
महामहिम ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली नस्ल को साफ हवा-पानी देना मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा अगली पीढ़ी को वनों का हस्तांतरण करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़िय़ों की भी हिफाजत हो सके। राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए सभी को सामूहिक कोशिश करनी होगी और एकजुट होना पड़ेगा तभी जल, जंगल और साफ हवा महफूज रहेगी।
गौरतलब है कि देहरादून में आयोजित इस उनीसवें राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन में 39 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 6 दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में वनों के जानकार पर्यावरण से जुड़े कई मसलों पर चर्चा करेंगे ताकि प्रदूषित होते वायुमंडल को बचाया जा सके।