देहरादून : उत्तराखंड में बेमानी संपत्ति हड़पने वाले लोगों के खिलाफ सरकार कार्रवाई के मूड़ में आ गई है…सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई का मतलब एनएच-74 से ही नहीं है बल्कि जो लोग अपराधी, भष्टाचारी और दुराचारी हैं सरकार उनकी छटनी करेंगी,यानी सीएम के बयान से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बेमानी सम्पति हड़पने वाले लोग के खिलाफ सरकार कारवाई करने के मूड़ में है।
सूत्रों की मानें तो इस संबंध में विजिलेंस समेत अन्य एजेंसियों को जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। सरकार का इरादा बेनामी संपत्तियों को कब्जे में लेकर इसका इस्तेमाल सामाजिक कार्यों के लिए करने का है।
त्रिवेंद्र सरकार ने उठाया ठोस कदम
जेढ़ साल पहले सीएम बनने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का ऐलान किया था। पिछले लगभग डेढ़ साल के वक्फे में त्रिवेंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम में कई मामलों में सख्त कदम उठाए हैं। ताजा एनएच-74 के चौड़ीकरण में मुआवजा घोटाले में दो आइएएस अधिकारियों के निलंबन के रूप में सामने आया। राज्य गठन के बाद अठारह सालों के दौरान यह किसी भी सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे सख्त कदम रहा।
जीरो टॉलरेंस नीति को आगे बढ़ाते हुए बेनामी संपत्ति बटोरने वालों पर सिकंजा
अब त्रिवेंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को आगे बढ़ाते हुए बेनामी संपत्ति बटोरने वालों को टारगेट करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेनामी संपत्तियों के मामलों की जांच के निर्देश अधिकारियों को दे दिए हैं।
बड़े नेताओं से लेकर अधिकारी और बड़े ठेकेदारों तक के नाम शामिल
सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों पर बेनामी संपत्ति एकत्र करने का शक है, उनमें बड़े नेताओं से लेकर अधिकारी और बड़े ठेकेदारों तक के नाम शामिल हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद विजिलेंस समेत अन्य संबंधित एजेंसियां ऐसे लोगों की कुंडली बांचने में जुट गई हैं।
बिहार पैटर्न का अध्ययन किया जा रहा
सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द बेनामी संपत्ति को लेकर कानूनी प्रावधान करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए बिहार पैटर्न का अध्ययन किया जा रहा है। इसमें भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे सरकारी कर्मचारियों के मामले का निबटारा न होने तक उनके संपत्ति बेचने पर रोक और बेनामी संपत्ति जब्त करने के प्रावधान शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय को इस आशय की शिकायतें मिलीं थी, जिनमें उत्तराखंड और उत्तराखंड से बाहर बेहिसाब बेनामी संपत्तियों का जिक्र किया गया है