चमोली- जब देश आजाद नहीं हुआ था तब लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मनाना शुरू किया था। उनकी शुरू की गई परम्परा टीवी और इंटरनेट के दौर मे आज इतनी हिट हो गई है कि दूर-दराज के इलाकों में भी धूम-धाम से मनाई जा रही है। एक दशक पहले उत्तराखंड के नगर-कस्बों और गांवों में गणेश उत्सव को न तो कोई जानता था न इसे कोई सार्वजनिक रूप से भव्य रूप में मनाता था। लेकिंन टच स्क्रीन फोन और फेसबुक, ट्विटर के जमाने मे गणेश महोत्सव के जलवे बिखर रहे है।
भगवान गोपीनाथ की धरती गोपेश्वर में आजकल जबरदस्त तरीके से गणेश महोत्सव मनाया जा रहा है। यहां बस स्टेशन के पास नगर पालिका के प्रतीक्षालय में गणेश महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 5 सितंबर से शुरू हुआ ये गणेश महोत्सव 15 सितंबर को चमोली स्थित अलकनंदा में मूर्ति के विसर्जन के साथ ही संपन्न हो जाएगा। बहरहाल भगवान गोपीनाथ की धरती गणेश महिमा के रंग मे रंगी हुई है जहां दूर-दराज से श्रद्धालु आ रहे हैंं और भगवान गणेश के भजनों में डूब कर भक्ति रस का पान कर रहे हैं। स्थानीय सियासी चेहरों की आमद भी गणेश महोत्सव मे अपनी झलक दिखा रही है। इस उम्मीद से कि क्या पता विघ्नविनाशक 2017 की विघ्नों का हरण कर दें।