ब्यूरो- उत्तराखंड में पंचकेदार में से पांचवे केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान कल्पेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए इस साल भी श्रद्धालुओँ को जान हथेली पर रखनी होगी। दरअसल साल 2013 की केदारआपदा में बहा कल्प गंगा का झूलापुल चार साल बाद भी नहीं बन पाया।
जबकि साल 2016 में तत्कालीन सरकार कल्पगंगा पर 80 मीटर लंबे पैदल पुल निर्माण के लिए पांच करोड़ 71 लाख की रकम को मंजूर कर चुकी थी। कल्पगंगा पुल पर एक कंपनी ने निर्माण कार्य भी शुरू किया था लेकिन कंपनी न जाने क्यों नौ दिन चले अढाई कोस वाले हालात में रही और एक साल बाद भी पैदल पुल को उसके मुक्कमल अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई ।
लिहाजा भगवान कल्पनाथ के दर्शन के लिए स्थानीय लोगों ने कल्पगंगा पर लकड़ी बल्ली फट्टे का अस्थाई पुल तैयार किया। मौजूदा वक्त में उसी पुल पर जान जोखिम मे डाल कर उफनती कल्पगंगा को पार किया जा रहा है और कल्पनाथ मंदिर में विराजे भगवान कल्पेश्वर के दर्शन किए जा रहे हैं।
ऐसे में सवाल ये है कि अगर किसी श्रद्धालु के साथ कुछ अनहोनी हो गई तो तीर्थाटन और पर्यटन का ढोल पीटने वाली सूबे की सरकार दूर-दराज के भक्तों को क्या मुंह दिखाएगी। सुना था कि भगवान भक्तों का इंम्तिहान लेते हैं लेकिन यहां के हालात देख कर लगता है कि भगवान नहीं सरकार जबरन भक्तों से इम्तिहान दिलवा रही है।