पिथौरागढ़- हमारी तो उम्र पैदल चल कर ही निकल गई लेकिन मुझे उम्मीद है कि हमारे गांव के लोग अब गांव छोड़कर कहीं नहीं जांएगे!
गानुरा गांव की सबसे बुजुर्ग महिला ने जब अपने गांव पहली बार पहुंची गाड़ी की आरती उतारी और उसे टीका लगाया तो ये बात उनके मुंह से अनायास ही निकल गई। महिला की इस बात में पलायन की पीड़ा भोगते राज्य का वो सच छिपा हुआ था।
गांव में पहुंचीगाड़ी को देखकर गांव में बना उत्सव का माहौल और महिला की बात साबित कर रही थी कि काश राज्य बनने के बाद हर गांव को सरकारें संपर्क का भंरोसा दिला देती तो आज राज्य पलायन की पीड़ा को नहीं भोग रहा होता और राज्य सरकार को किसी पलायन आयोग की दरकार नहीं होती।
बहरहाल 71 साल से अपने गांव में सड़क की राह देख रहे गंगोलीहाट तहसील के गानुरागांव के ग्रामीणों के लिए गुरुवार का दिन दोहरी खुशी लेकर आया। त्योहार सरीखे इस दिन में पहली बार गांव में पहुंची बस का स्वागत दुल्हन की तरह किया गया। गांव की सबसे बुजुर्ग महिला ने बस की आरती उतारी और टीका लगाया। हालांकि कुमाऊं मंडल विकास निगम की गाड़ी कच्ची सड़क से ही सफर कर गानुरा गांव पहुंची। लेकिन गांव में गाड़ी पहुंचने का सपना सच हो गया।
गंगोलीहाट से पव्वाधार-चौरपाल से गानुरा के लिए लगभग 14 किमी सड़क का निर्माण किया गया। तहसील मुख्यालय से 26 किमी दूर स्थित गानुरा गांव पहली बार सड़क से जुड़े। सड़क से जुड़ने पर लोनिवि की सहायक अभियंता रीना नेगी गुरुवार को परीक्षण के लिए इस सड़क से बस लेकर पहुंची। गांव में बस के पहुंचते ही ग्रामीण खुशी से झूम उठे।
दरअसल गानुरा गांव गंगोलीहाट तहसील से 26 किलोमीटर दूर है। वहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 10 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई का पैदल सफर करना पड़ता था। इस खड़ी चढाई को पार कर ग्रामीण मड़कनाली पहुंचते थे जहां से उन्हें गंगोलीहाट जाने के लिए वाहन मिलते थे।