हरिद्वार- कहते हैं दुश्मनी जम कर करो मगर ये गुजांइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों। लेकिन लगता है गुटों मे बंटी प्रदेश भाजपा को इन लाइनों से कोई मतलब नही। अगर होता तो दो गुट आपस मे मीडिया के सामने न भिड़ते।
मिशन 2017 को फतह करने के लिये बेशक भाजपा पार्टी की एकजुटता की बात करे लेकिन हकीकत इसके उलट है, पार्टी कई गुटों में बटी है और इससे अब आला नेता भी इंकार नही कर सकते। भाजपा मे फूट किस हद तक है इस बात का पता उस वक्त चला जब हरिद्वार मे स्थानीय सांसद गुट और विधायक गुट मे जूतम पैजार हुई। बात सिर्फ इतनी थी कि कौन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से पहले मुलाकात करेगा, सांसद के समर्थक या विधायक के आदमी।
दरअसल मंगलवार को हरिद्वार मे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट राज्य अतिथि गृह मे मौजूद थे। जहां प्रदेश अध्यक्ष से जिले के पार्टी कार्यकर्ता मिलना चाहते थे। इन कार्यकर्ताओं मे निशंक गुट और कौशिक गुट दोनों के कार्यकर्ता मौजूद थे और दोनों ही पार्टी अध्यक्ष से पहले मिलना चाहते थे। लिहाजा पहले आप की जगह पहले हम हुआ और दोनों गुट के सदस्य एक दूसरे पर लात घूंसों के साथ पिल पड़े । हालांकि बाद मे किसी तरह नेताआें ने इज्जत का हवाला देकर बीच-बचाव किया और मामले को शांत करवाया।
बहरहाल जो छीछालेदर होनी थी वो तो हो चुकी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर पार्टी इस तरह से गुटों में बंटी रहेगी तो मिशन 2017 का क्या होगा ? वैसे कहा गया है दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिये। ऐसे मे अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वक्त मे हाथ मिलते भी हैं या नही। कहीं ऐसा न हो कि न हाथ मिलें और न दिल।