हरिद्वार- देहरादून से हरिद्वार होकर दिल्ली जाने वाला नेशनल हाइवे जितना बदहाल है उससे कही ज्यादा बुरे दौर में इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को अपने कांधे पर उठाने की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी ने अपने कर्मचारियों को फंसा दिया है।
एरा इन्फ्रा एंड इंजीनियरिंग नाम की विख्यात कंपनी अपनी हरकतों की वजह से अपने मुलाजिमों की निगाह में कुख्यात हो गई है। दरअसल कंपनी पर आरोप है कि इस सड़क के निर्माण में लगे कर्मचारियों को पिछले कई महीने से उनकी तय पगार कंपनी ने नहीं दी है। लिहाजा मुलाजिमों ने हड़ताली रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी और एसएसपी हरिद्वार को अपनी आपबीती सुनाते और कंपनी की शिकायत करता ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में कर्मचारियों ने कंपनी की शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि बकाया पगार तो दूर की बात कंपनी ने न तो अपने हिस्से का पीएफ जमा करवाया ऊपर से उनका जमा पीएफ भी डकार लिया। ऐसे में एरा कंपनी के मुलाजिमों को दो-जून की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं।
कंपनी ने अपनी रीढ़ माने जाने वाले मुलाजिमों को भुखमरी के दौर में पहुंचा दिया है। हालांकि एरा कंपनी के डीजीएम गिरिजेश त्रिपाठी की माने तो अभी कंपनी फंड की समस्या से जूझ रही है। हालांकि कंपनी ने सभी वर्कर्स को पीएफ कोड दे दिया है। उधर कंपनी एक और अधिकारी की माने तो एरा ने पीएफ में अपनी ओर से जो पैसा देना था उसे भी कर्मचारियों के वेतन से वसूला बावजूद इसके भी मुलाजिमों के पीएफ खाते में जमा नहीं करवाया।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस मुल्क में श्रम कानूनों का कोई वजूद भी है या नहीं। वहीं सवाल ये भी है कि अगर श्रम मंत्रालय के होते हुए निजी कंपनियों में श्रमिकों का शोषण हो रहा है और कानूनों की निगरानी नहीं होती तो फिर अधिकारियों को सरकारी खाते से मोटी पगार क्यों दी जा रही है?