हल्द्वानी- उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने की कवायद एक बार फिर जोर-शोर से शुरू हो गई है। इसी कड़ी के तहत जंगलात महकमा ईको-टूरिज्म पर भी खुद को फोकस कर रहा है। इसके लिए राज्य में ईको-टूरिज्म के पांच सर्किट बनाने का खाका तैयार किया जा रहा है। जिसका मुख्यालय कोटद्वार में होगा।
इसकी जानकारी सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने दी। रावत ने कहा कि प्रदेश में ईको-टूरिज्म विकसित करने के लिए ऐसे ग्रामीण इलाकों को वरीयता दी जाएगी जो पर्यटन के लिहाज से अहम हैं। इसके लिए महकमा युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है।
वहीं हरक सिंह रावत ने बताया की ऋषिकेश, कोटद्वार, लैंसडौन, रामनगर और चांपावत क्षेत्र को ईको-टूरिज्म से जोड़ा जायेगा। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वाइल्डलाइफ और वन एक्ट को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के गेस्ट हाउसों का आधुनिककरण कर पर्यटकों के लिए किराये पर उपलब्ध कराया जायेगा। इसके अलवा योग, योग ट्रीटमेंट, आयुर्वेद को भी ईको-टूरिज्म से जोड़ा जायेगा ।
बहरहाल 70 फीसदी वन भूभाग वाले उत्तराखंड में इको टूरिज्म को बढ़ावा देना एक सार्थक पहल है। बशर्ते इसे पूरी गंभीरता से धरातल पर उतारा जाए। दरअसल पिछली कई सरकारों ने सूबे को पर्यटन प्रदेश बनाने की कवायद की थी लेकिन आज तक योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहुंचाया जा सका।