देहरादून- चार दिन पहले 14 दिसंबर को हरिद्वार बायपास स्थित निरंकारी भवन के परिसर में मिली दो लाशों ने देहरादून में सनसनी मचा दी। दोनो शव के हुलिए और निशानों ने पुलिस के माथे पर शिकन की लकीरें दौड़ा दी। हालांकि चार दिन बाद आज देहरादून के एसपी सिटी ने प्रेसवार्ता कर पुलिसिया कहानी मीडिया को सुनाई जिसके मुताबिक वारदात कत्ल की नहीं एक्सीडेंट की है।
पुलिस ने अपनी तफ्तीश को पुख्ता करने के लिए मीडिया के सामने डम्फर चालक सहित 2 गिरफ्तार लोगों को भी पेश किया। पुलिसिया तफ्तीश के मुताबिक डंफर चालक रात में निरंकारी भवन में मिट्टी उतारने गया था। उस दौरान दोनो शख्स डंफर की चपेट में आने से मौत के मुंह में समा गए । मृतकों में एक रुद्रप्रयाग और एक देहरादून का रहने वाला था। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले मृतकों में से एक चौकीदार था जबकि दूसरा सेवादार।
हालांकि पुलिसिया कहानी पर सुनने वालों को ऐतबार नहीं हो रहा है। दरअसल जानकारों के मुताबिक लाशों के घाव और परिस्थितियां दून पुलिस के खुलासे के तहत सुनाए गए वृतांत से कहीं ज्यादा मेल किसी मुंबइया कहानी से खाते हैं। लाशों पर हो रही चर्चा कह रही है कि पुलिस जिसे निरंकरी भवन की लाशों की हकीकत बता रही है वो फिल्मी अफसाना ज्यादा लग रहा है।
मीडिया की पहले दिन की रिपोर्ट ने जो लाशों का हुलिया बताया था उसकी चोटों और मिले सबूतों को देखते हुए पुलिस ने प्रथमदृष्टया इसे कत्ल मानकर चल रही थी। लेकिन चार दिन बाद पुलिस के मामले को एक्सीडेंटल करार देना ज्यादातर को रास नहीं आ रहा है। दरअसल पुलिस जिस कहानी को आज सुना रही है वो कहानी पहले दिन के सबूतों से मेल नहीं दिख रही है।
सेवादार और चौकीदार की लाशों में पहले दिन एक के मुहं और नाक पर खून जमा हुआ था। जबकि दूसरे के पेट के दाहिने हिस्से में नीला निशान था। कहीं से कुचले जाने के निशान पहले दिन किसी को मौके पर नहीं दिखाई दिए। पुलिस की कहानी के हिसाब से दोनों लाशें डंफर की दूरी पर होनी चाहिए थी लेकिन मौके पर दोनों लाशे पीठ के बल एक दूसरे के काफी करीब थी।
ऐसे मे महसूस हो रहा है कि पुलिस की इस कहानी मे कई झोल हैं। चर्चा ये भी है कि पुलिस खनन माफिया को बचाने के लिए अफसाना बुन रही है क्योंकि मृतक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनकी ओर से कोई बड़ी पैरवी का दबाव नहींं है।