देहरादून- देहरादून से लेकर दिल्ली तक डबल इंजन की सरकार बावजूद इसके उत्तराखंड में जनता कराह रही है। सरकारी अस्पतालों का तो ये हाल है कि मौजूदा वक्त में एक भी अस्पताल ऐसा नहीं है जो मरीजों की उम्मीदों पर खरा उतरता हो।
आलम ये है कि दून मेडिकल कॉलेज जैसी ऊंची दुकान में भी मरीजों को फीके पकवान का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
मौजूदा समय मे जब शुगर की बीमारी आम हो गई हो उस दौर में भी देहरादून के दून अस्पताल डायलेसिस का मुक्कमल इंतजाम नहीं है। अस्पताल प्रबंधन बजट का रोना रो रहा है। दून अस्पताल के सीएमएस के.के.टम्टा का कहना है डायलेसिस पर 50 हजार से ज्यादा खर्चा है और अस्पताल प्रशासन के पास बजट नहीं है।
मतलब साफ है कि डबल इजन के दौर में भी जरूरी सहूलियत बजट की तंगी का रोना रो रही हैं। जबकि गंभीर बात ये है कि सूबे में स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी खुद सीएम त्रिवेंद्र रावत उठाते हैं। जो कि सेहत के सवाल पर आम आदमी की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। कभी अपनी फ्लीट की गाड़ी से जरूरतमंद को अस्पताल भिजवाते हैं तो कभी सुदूर इलाके में मासूम बटे के स्वास्थ्य के लिए मां की फरियाद पर प्रशासनिक आधिकारी को हाजिर करवा देेते हैं।