मुंबई. रुपया डॉलर के मुकाबले शुक्रवार को 69.12 तक गिर गया। ये अब तक का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले 28 जून को इसने 69.10 का निचला स्तर छुआ था। रुपए की शुरुआत गुरुवार के मुकाबले 4 पैसे ऊपर 69.01 पर हुई लेकिन कुछ ही देर में गिरावट शुरू हो गई। हालांकि बाद में रिकॉर्ड निचले स्तर से रुपए में रिकवरी आई। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले ये 43 पैसे कमजोर होकर 69.05 पर बंद हुआ जो अब तक का सबसे निचला क्लोजिंग स्तर रहा। पहली बार रुपए की क्लोजिंग 69 के ऊपर हुई। चीन समेत दूसरे एशियाई देशों की करेंसी में भी डॉलर के मुकाबले इस साल कमजोरी रही है लेकिन रुपए पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। सात महीने में ये 8% गिर चुका है.
रुपए में गिरावट की वजह
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चीन की मुद्रा युआन 0.28% कमजोर होकर 6.7943 पर आ गई। ये वैल्यू एक साल में सबसे कम है। युआन में गिरावट से रुपए पर भी असर पड़ा। कारोबारियों के मुताबिक अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन के बयान और घरेलू राजनीतिक वजहों से भी रुपए में गिरावट आई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल ने बुधवार को अमेरिकी संसद के में कहा कि वहां की अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है। इस बयान के बाद अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बन गई है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर में दुनियाभर की करेंसी के मुकाबले तेजी देखी जा रही है। देश के राजनीतिक घटनाक्रम से भी मुद्रा बाजार पर असर हुआ है।
रुपया कमजोर होने से चार असर
पहला- भारतीयों के लिए विदेश यात्रा महंगी हो जाएगी।
दूसरा- विदेश में पढ़ाई का खर्च भी बढ़ जाएगा। यात्रा और पढ़ाई इसलिए महंगी होगी क्योंकि करेंसी एक्सचेंज के लिए डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपए चुकाने होंगे।
तीसरा- भारत के लिए क्रूड का इंपोर्ट महंगा हो जाएगा। इससे महंगाई बढ़ सकती है।
चौथा- आईटी और फार्मा कंपनियों को रुपए की कमजोरी से फायदा होगा क्योंकि इनका बिजनेस एक्सपोर्ट से जुड़ा है।
पांच साल में रुपए के चार निचले स्तर
तारीख डॉलर के मुकाबले रुपया
20 जुलाई 2018 69.12
28 जून 2018 69.10
24 नवंबर 2016 68.86
28 अगस्त 2013 68.80