देहरादून- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बिल के खिलाफ डॉक्टरों का संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने आज 12 बजे तक अपनी हड़ताल रखी। जो देहरादून समेत पूरे भारत में काफी हद तक कामयाब रही। दिल्ली से लेकर देहरादून तक सभी निजी अस्पतालों ने चिकित्सीय कामों का बहिष्कार किया। हालांकि इस दौरान आपतकालीन सेवाएं जारी रही।
इधर देहरादून में IMA के प्रांतीय महासचिव डॉ डीडी चौधरी ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के गठन के प्रस्ताव को मेडिकल शिक्षा और मरीजों के हितों के खिलाफ करार दिया। जबकि आज की हड़ताल को मेडिकल इतिहास में ब्लैक डे बताया । देहरादून में प्रांतीय चिकित्सा संघ ने भी हड़ताल का समर्थन किया।
बहरहाल IMA का मानना है कि अगर सरकार मौजूदा प्रवाधानों के मुताबिक ही NMC के गठन पर अड़ी रही तो इससे मेडिकल शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जिससे मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के बच्चे मेडिकल शिक्षा से महरूम हो सकते हैं।
बाताया जा रहा है कि आयोग के प्रावधानों के अनुसार सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 40 फीसद सीटों पर शिक्षा शुल्क लागू कर पाएगी। 60 फीसद सीटों पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा। उन सीटों पर निजी अस्पताल अपनी मर्जी से शुल्क तय कर सकेंगे।
वहीं NMC के गठन के बाद मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए किसी के निरीक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। सुविधाओं के निरीक्षण के बगैर मेडिकल कॉलेज खोले जा सकेंगे। स्नातकोत्तर की सीटें बढ़ाने व नया विभाग शुरू करने के लिए भी स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी। जबकि कॉलेज खोलने के पांच साल बाद उनमें सुविधाओं का निरीक्षण होगा। पांच साल बाद भी मेडिकल कॉलेज में कमियां पायी गई तो कॉलेजों पर पांच करोड़ से 100 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
वहीं NMC के प्रावधानों के मुताबिक एमबीबीएस पास करने के बाद डॉक्टरों को संयुक्त एग्जिट परीक्षा देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जबकि IMC से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि यह बाध्यता उचित नहीं है।
वहीं NMC का विरोध कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि 25 सदस्यीय आयोग में सिर्फ पांच सदस्य ही निर्वाचित होंगे जबकि 20 सदस्य सरकार मनोनीत करेगी। इससे आयोग में चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। जबकि आइएमए की मांग की है कि आयोग में हर राज्य से एक डॉक्टर को निर्वाचित किया जाना चाहिए।