हरिद्वार: जिलाधिकारी दीपक रावत के तेजतरार एक्शन भरे अंदाज से जितने लोग कतराते है या यूं कहे वह कब कहां आकर छापेमारी करदे इस बात का सबको डर रहता है. लेकिन डीएम ने इस बार ऐसा काम की किया कि हर मां उनको दुआंए जरुर देंगी जहां कई लोग उनके एक्शन भरे अंदाज से डरे-सहमे रहते है वहीं डीएम के शहीद की मां से मिलने की खबर सुनकर हर किसी का दिल भावुक जरुर हो उठा होगा. उनके इस व्यवहार ने उनका परिचय दिया है और समाज को एक अच्छा संदेश दिया कि इंसान कितनी भी बुलंदियों को छू ले या कितनी भी ऊंची उड़ान भर ले लेकिन उसे जमीन से भी जुड़ा रहना चाहिए.
पीएम मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह की तरफ से भी दी बधाई
जी हां जिलाधिकारी दीपक रावत ने गुरुवार को शहीद मेजर शुभम के घर पहुंचकर परिवार से मुलाकात की। डीएम ने शहीद की मां आशा अग्रवाल के जन्मदिन पर उन्हें बधाई भी दी। मेजर शुभम अग्रवाल वर्ष 2005 में जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए थे। घर में उनकी मां आशा अग्रवाल अकेली रहती हैं।
शहीद की मां का कहना था कि डीएम के आने से जन्मदिन के मौके पर उनके बेटे की कमी पूरी हो गई। दीपक रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत की ओर से अधिकारियों को शहीदों के घर जाकर उनका हाल जानने के लिए कहा गया है।
शहीद के घर में नहीं थई कोई जन्मदिन की तैयारी
शहीद के घर में न कोई जन्मदिन की तैयारी थी और न ही कोई व्यवस्था, लिहाजा अचानक पहुंचे डीएम रावत ने मां को बड़े ही सहज तरीके से जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। साथ ही किसी भी समस्या में याद करने का आश्वासन भी दिया। इसलिए जब उन्हें पता चला की उनकी मां का आज जन्मदिन है, तो वे खुद को रोक नहीं पाए और उनसे मिलने चले आए।
शहीद मेजर शुभम अग्रवाल की मां आशा अग्रवाल को डीएम दीपक रावत ने अपने हाथों से मीठा खिलाकर जन्मदिन की शुभकामनाएं दी. शहीद की मां का कहना है कि कई साल बाद घर में रौनक सी हो गई थी। डीएम रावत बिलकुल उनके बेटे की तरह ही लग रहे थे। उनका मन नहीं कर रहा था कि वो उनके पास से उठे। उन्होंने कहा कि घर में अकेले रहते हुए वैसे तो उन्हें अब आदत सी हो गयी है, लेकिन आज फिर से बेटे की याद ताजा हो गई, क्योंकि बेटा होता था तो आज का दिन बहुत ही अच्छे से जन्मदिन मानता था।
कौन हैं शहीद मेजर शुभम अग्रवाल
शहीद मेजर शुभम अग्रवाल सेना के बेहतरीन कमांडो में से एक थे। शुभम के पिता का नाम कौशल अग्रवाल और माता का नाम आशा अग्रवाल है। मेजर शुभम 2005 में शहीद हुए थे। वे जम्मू-कश्मीर सहित देश के कई इलाकों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में उन्होंने कई एनकाउंटर भी किए। कभी उनका पूरा परिवार एक साथ हरिद्वार में रहता करता था