हल्द्वानी- जहां एक ओर राज्य सरकार कर्ज के बोझ तले दबी हुई है तो वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा अपने पीआरओ और ओएसडी की 10 लोगों की टीम बनाकर उन्हें मलाईदार पद पर तैनाती दी गई है, जिसकी तनख्वाह 1 करोड़ से अधिक सरकारी खजाने से दी जा रही है।
दरअसल हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने मुख्यमंत्री कार्यालय से ओएसडी और उनके पीआरओ के खर्चे की सूचना आरटीआई के तहत मांगी तो जवाब में पता चला कि प्रदेश भर में मुख्यमंत्री के ओएसडी और पीआरओ की 10 लोगों की टीम बनी हुई है। जिनकी मासिक तनख्वाह साठ हजार से लेकर अधिकतम डेढ़ लाख रूपये तक है l जिसका सालाना एवरेज निकाले तो यह तनख्वाह टेक्स सहित 1 करोड़ से अधिक के आसपास पहुंच रही है।
युवा बेरोजगार हैं और राज्य कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है
पूरे मामले पर आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने कहा कि जहां एक ओर पहाड़ से पलायन जारी है युवा बेरोजगार हैं और राज्य कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, तो ऐसे में मुख्यमंत्री 10 लोगों को लाखों रुपए सैलरी के रूप में बांट रहे हैं जो राज्य की जनता के साथ भद्दा मजाक है।
वह इसकी शिकायत खुद मुख्यमंत्री से करेंगे
उन्होंने कहा कि वह इसकी शिकायत खुद मुख्यमंत्री से करेंगे इसके अलावा वह नेता प्रतिपक्ष से भी मुलाकात कर इस संबंध में उन्हें जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी जो सरकारें रही हैं उनमें भी मुख्यमंत्रियों ने इतने ओएसडी और पीआरओ नहीं रखे, जबकि यह मुख्यमंत्री अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए ओएसडी और पीआरओ के पद पर तैनात कर रहे हैं। हेमंत गोनिया ने इस तरह की फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की मांग की है।