देहरादून- आलम यही रहा तो अपनी हेल्दी आबोहवा के लिए मशहूर दून घाटी में जल्दी ही दिल्ली जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। लेकिन माना जा रहा है कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए उत्तराखंड सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है ताकि ऐसे हालात से दो चार होने के स्थिति न आए। लिहाजा मुमकिंन है कि राज्य में 15 साल पुराने करीब पांच लाख वाहनों पर जल्द ही प्रतिबंध लग जाए ।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार बढ़ रहे वाहनों के चलते बिगड़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए यह संस्तुति शासन को भेजने की तैयारी कर रहा है।
बोर्ड ने पॉल्यूशन कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीसीआरआई ) से हरिद्वार और देहरादून जिले की वायु गुणवत्ता का अध्ययन कराया है, जिसमें पाया गया कि दोनों जिलों के वातावरण में धूल के कणों (धुंध) का स्तर दो गुना तक पहुंच गया है। इसके अलावा सल्फर डाइऑक्साइड जैसे तत्वों की मात्रा भी बढ़ती जा रही है।
पीसीआरआई की रिपोर्ट के आधार पर ही बोर्ड पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की कवायद आगे बढ़ाने जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उक्त दोनों जिलों की आबोहवा की स्थिति जानने के साथ ही इसमें सुधार के लिए एक्शन प्लान बनाने के उद्देश्य से पीसीआरआई से यह अध्ययन कराया है।
पीसीआरआई ने सोमवार को हरिद्वार जिले की ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है, जबकि देहरादून की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसे 20 नवंबर को देने की तैयारी है।
बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएस पाल के अनुसार पीसीआरआई की टीम ने देहरादून में घंटाघर, आईएसबीटी, एफआरआई और हरिद्वार में चंडीघाट समेत सात जगहों पर अध्ययन किया है। इसमें ट्रैफिक लोड, एयर क्वालिटी मानीटरिंग
स्टेशन के माध्यम से हवा में मौजूद तत्वों की मात्रा का अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन अप्रैल से अगस्त के बीच किया गया है। अब पीसीआरआई को हरिद्वार में रेलवे स्टेशन, मनसा देवी के आसपास के क्षेत्र में भी अध्ययन करने
का अनुरोध किया गया है। अध्ययन की अवधि फरवरी तक बढ़ा दी गई है। देखा गया है कि वाहनों की बढ़ती संख्या, वाहनों की धीमी रफ्तार, सड़क पर गड्ढे, भवन निर्माण, खुले में कूड़ा जलाने आदि से प्रदूषण बढ़ा है।
वहीं उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और एसपी सुबुद्धि, का कहना है कि ‘’पीसीआरआई ने प्रारंभिक रिपोर्ट दी है। इसमें कुछ तथ्य सामने आएं हैं। बहरहाल, संस्था विस्तृत और फाइनल रिपोर्ट देगी। उसके बाद बोर्ड की मीटिंग कर संस्तुतियों को अंतिम रूप देकर शासन को भेजा जाएगा। पूरा प्रयास होगा कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जाएं। “