नैनीताल- भीमताल में हुई भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के रवैए ने भाजपा आलाकमान के कान खड़े कर दिए हैं। एक पुर्वमुख्यमंत्री ने कोर कमेटी की बैठक में शिरकत करना ही मुनासिब नहीं समझा तो दूसरे ने बैठक खत्म होने से पहले ही बैठक से रूखसत कर लिया। ऐसे में भाजपा आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें खिच जाना लाज़िमि है। आखिर चुनावी साल जो ठहरा। सेनपाति नाराज रहेंगे तो सिपाही चुनावी रण कैसे लड़ेंगे इसकी चिंता भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को खाए जा रही है। आलाकमान को महसूस हो रहा है कि कहीं अहम की लड़ाई चुनावी बेड़े को मझधार में न छोड़ दे।
दरअसल राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने भगत सिंह कोश्यारी और राज्य के चौथे मुख्यमंत्री मेजर जनरल बी.सी.खंडूड़ी दोनों के मन में कसक है कि राज्य की कमान पूरे पांच साल तक उनके हाथों में नही रही। कोश्यारी राज्य में अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्यमंत्री थे तो जनरल खंडूड़़ी को भी 2007 की अपनी सरकार में पूरा कार्यकाल नही मिला था उन्हें भी गुटबाजी के कारण बीच में ही पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि ये बात अलग है कि फिर आखिरी वक्त में उन्हें राज्य की कमान सौंप दी गई। लेकिंन 2007 की भाजपा सरकार में पहले दिन से ही खंडूड़ी-कोश्यारी गुट को हवा मिलती रही और कई बार विधायकों का दिल्ली आना-जाना लगा रहा। 2006के चुनाव के दरम्यान कोश्यारी राज्य में भाजपा के अध्यक्ष थे और जनरल पौड़ी सांसद। कोश्यारी ने संगठन के भीतर काम किया और भाजपा को सत्ता के बिल्कुल नजदीक पहुंचा दिया। यहां तक कि यूकेडी को भी समर्थन देने के लिए तैयार करवा दिया। कोश्यारी को उम्मीद थी कि उनके प्रोफाइल में पूर्व मुख्यमंत्री के तमगे को आलाकमान नजरअंदाज नहीं कर सकता। लेकिंन ऐसा हुआ नही और आलाकमान ने सांसद खंडूड़ी के केंद्रीय मंत्रित्व के दौरान उनके प्रशासन को वरीयता दी और उन्हें राज्य की कमान संभालने के लिए उत्तराखंड भेज दिया। नतीजतन मेहनत करने के बावजूद कोश्यारी की सीएम बनने की हसरत अधूरी रह गई। पैराशूट सीएम को कोश्यारी कभी भी स्वीकार नहीं कर पाए । रोज-रोज की खटपट से तंग आ चुके आलाकमान ने भगत दा को राज्यसभा भेज दिया।
अब 2014 के लोक सभा चुनाव में जनरल और भगत दा दोनों ही लोकसभा सदस्य हैं । अब राज्य विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है इसलिए आलाकमान किसको सेनापति बनाएगा ये सवाल सबके जेहन में समाया हुआ है,चाहे सत्तापक्ष हो या विपक्ष। विपक्ष ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि चुनावी जंग के लिए भाजपा के पास सर्वमान्य चेहरा नही है, भाजपा में सिरफुट्व्वल की नौबत है। जाहिर हैं कांग्रेसी खेमे के ऐसे बयानों से भाजपाई खेमे मे हलचल मचनी जायज है। लिहाजा भाजपा ने अपने कद्दावरों को दिल्ली तलब किया है। खबर है कि तीन नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने जा चुके हैं। जिनमे एक नेता की भाजपा में नई-नई इंट्री है। अब देखना है कि हाईकमान की नसीहत क्या रंग लाती है ।