देहरादून – जुर्म करने के 35 साल बाद एक आरोपी दून पुलिस के हाथ लगा. एक व्यक्ति ने जुर्म तो जवानी में किया लेकिन पकड़ा वो बुढ़ापे में गया. आपको सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन बिल्कुल सच है.
वर्ष 1980 का मामला
जी हां भगोड़ा मुल्जिम पर वर्ष 1980 में घर घुसकर गोली मारने का जानलेवा आरोप हैं. अभियुक्त के खिलाफ 1980 में घटना को अंजाम देने के चलते थाना डालनवाला पर मुकदमा संख्या 288/80 धारा 427/307 IPC दर्ज किया गया था।
31 जनवरी 1985 को अभियुक्त सुरेश को भगोड़ा घोषित किया गया
उधर पुलिस ने इस मामलें में आरोपी सुरेश सिंह के खिलाफ 12 दिसंबर 1980 को पुलिस चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। उधर एडीजे देहरादून न्यायालय में मामला विचाराधीन था लेकिन आरोपी सुरेश फरार हो गया. जिसके बाद मुल्जिम पुलिस की पकड़ से बहार होने के चलते 31 जनवरी 1985 को अभियुक्त सुरेश को मफरूर (भगोड़ा) घोषित कर दिया था। पुलिस टीम द्वारा मफरूर सुरेश को देहरादून के चन्द्रोटी गांव स्थित घऱ से गिरफ्तार किया गया।
बुढ़ापे में गिरफ्तार हुआ आरोपी, घऱ में घुसकर गोली मारने की घटना को दिया था अंजाम
35 सालों से पुलिस की पकड़ से फरार चल रहा आरोपी सुरेश आज जब पुलिस के शिकंजे में आया है तब उसकी उम्र 71 वर्ष की बताई जा रही है. यानी 36 साल की उम्र में अपराध करने के बाद पुलिस उसे बुढ़ापे की उम्र में गिरफ्तार करने में सफलता पाई. जानकारी के मुताबिक देहरादून के 218 डीएल रोड पर रहने वाले पीड़ित जयचन्द पुत्र लालता प्रसाद थाने में तहरीर दर्ज कराई थी की उस समय आरोपी सुरेश सिंह पुत्र इदर सिंह जो मूल रूप थाना राजपुर चन्द्रोटी में रहता था जिसने उसके घऱ में घुसकर गोली मारने की घटना को अंजाम दिया था।
फिल्मी स्टाइल में बदलता रहा अपना ठिकाना
वही जुर्म करने के 35 साल बाद गिरफ्तार होने वाले 71 वर्षीय सुरेश सिंह के बारे में देहरादून एसएसपी ने बताया कि पुलिस मुख्यालय द्वारा फरार मुजरिमों की धरपकड़ आदेश के चलते पहले पुलिस टीम द्वारा सुरेश के घऱ चन्द्रोटी राजपुर जाकर उसके सम्बन्ध में समस्त जानकारी एकत्र की. उसके आस पडोस के लोगों से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि सुरेश कुमार ने विगत 5 वर्ष पूर्व अपनी जमीन किसी प्रोपर्टी डीलर के माध्यम से बेची थी। उसके बाद रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर इस रजिस्ट्री को निकाला गया। जिससे भगोडे आरोपी सुरेश का पैन कार्ड व फोटो मिला।
पैन कार्ड से इनकम टैक्स विभाग से सुरेश सिह के बारे में पता चला
पैन कार्ड से इनकम टैक्स विभाग से सुरेश सिह के बारे में पता किया गया. साथ-साथ परिजनों से जानकारी के आधार पर सुरेश के बेटे का मोबाइल नंबर मिला. जिससे जानकारी मिली कि मफरूर अपने परिवार के साथ ज्वाला जी हिमाचल प्रदेश रह रहा है।
सुरेश सिह को 35 साल बाद को चन्द्रोटी राजपुर से गिरफ्तार किया गया
उधर पुलिस भी ज्वाला जी जाकर इसके बेटे से मोबाइल न. के आधार पर सम्पर्क किया गया। आपोरी के बेटे ने बताया कि मफरूर सुरेश अपनी पुत्र के घऱ कैथल हरियाणा में रह रहा है। कैथल हरियाणा जाकर जानकारी की गई तो पता चला कि मफरूर को इस सम्बन्ध में मालूम हुआ की पुलिस उसकी तलाश कर रही है, इसलिये वह अपने भाई के पास अपने घऱ चन्द्रोटी राजपुर पहुँच गया। अंत मे पुलिस टीम द्वारा वर्ष 1980 दर्ज मुकदमे में कोर्ट द्वारा घोषित मफरूर (भगोड़े) चल रहे मुलजिम सुरेश सिह को 35 साल बाद को चन्द्रोटी राजपुर से गिरफ्तार किया गया।