देहरादून- उत्तराखंड में नए निर्माण कामों से हाथ धो चुके उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम नें इसके लिए उन भ्रामक खबरों को जिम्मेंदार ठहराया है जो गुजरे वक्त में प्रसारित हुई हैं।
ये दावा उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के महाप्रबंधक पी.के.शर्मा ने किया। आज देहरादून में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान महाप्रबंधक ने यूपीआरएनएन की छवि को खराब करने का ठीकर तथ्यहीन प्रकाशित खबरों सिर फोड़ा।
शर्मा ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट आधारहीन खबरों को प्रसारित कर यूपीआरएनएन की साख पर बट्टा लगा रही हैं जबकि हकीकत उससे परे हैं। निगम का किया गया काम शीशे की तरह साफ है। उन्होंने कहा कि यूपीआरएनएन उत्तराखंड समेत बल्कि देश के 21 राज्यों में निर्माण कार्य कर रही है।
शर्मा ने कहा कि बीते दिनों यूपीआरएनएन की छवि के लिहाज से बेहद खराब खबर प्रकाशित और प्रसारित की गई जिसमेे बताया गया कि निगम ने उत्तराखंड राज्य में 800 करोड़ का घपला किया है। जबकि हकीकत ये है कि उस काम की लागात ही कुल 804 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं यूपीआरएनएन के महाप्रबंधक पी.के.शर्मा ने कहा कि खबर चलाई गई कि निर्माण निगम ने सेंटैज चार्जेज में खुद ही बदलाव करते हुए 100 करोड़ की गड़बड़ी की। जबकि असलियत ये है कि सैंटेज चार्जेज उत्तराखंड शासन ने तय किया था। पहले सैंटेज चार्जेज साढ़े बारह प्रतिशत था जिसे शासन ने अब ठीक आधा साढ़े छह फीसद कर दिया है।
वहीं शर्मा ने सफाई देते हुए मीडिया को बताया कि समाचारों के जरिए बताया गया कि UPRNN ब्याज की धनराशि को वापस नहीं कर रहा है जबकि असलियत ये है कि निगम को ग्राहक से प्राप्त धनराशि के सापेक्ष बैंक से ब्याज की धनराशि हर साल ग्राहक के खाते में डाली जाती है। इस धनराशि को लेवर सेस और सेवा कर इत्यादि के समायोजन के बाद ग्राहक विभाग को वापस किया जा रहा है और किया भी जाएगा।
वहीं शर्मा ने UPRNN की छवि को खराब करने का जिम्मेदार उस वक्त के समाचारों को बताते हुए कहा कि तब समाचार प्रकाशित किया गया था कि आगणनों को बेवजह पुनरीक्षित किया गया था, समाचारों का ये आरोप सरासर झूठ है। शर्मा ने कहा कि जब भी किसी वजह से आगणनों मे कभी बदलाव की दरकार होती है तो इसके लिए संबधित विभाग जांच पड़ताल करता है और उसके बाद शासन भी इसको अपनी कसौटी पर परखता है तभी आगंणनों का बदलाव संभव हो पाता है। UPRNN अपने स्तर से इस बावत कोई फेरबदल नहीं कर सकता।
वहीं UPRNN के GM पीके शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम अपने मैनूअल के मुताबिक DCU पैटर्न पर काम करता है ौर इस तरीके से सभी 21 राज्यों में कर रहा है। इस पर अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन के नियोजन विभाग से साल 2014 में UPRNN को मंजूरी मिली हुई है।
शर्मा ने कहा कि UPRNN राज्य में बेहतरीन तरीके से निर्माण कार्यों को अंजाम दे रहा था, सिर्फ बेबुनियाद खबरों की वजह से उसे राज्य में नए कामो के लिए अयोग्य ठहराया गया है जो कि सरासर अन्याय है। ऐसी खबरों से न केवल UPRNN की छवि खराब हुई है बल्कि उसे नुकसान भी हुआ है।