हरिद्वार- पक्की नौकरी देने में नाकाम हो चुकी लोक कल्याणकारी सरकारों के दौर में ठेकेदार चांदी काट रहे हैं। जबकि ठेकेदारी प्रथा में जिंदगी गुजर-बसर करने के लिए मजबूर आदमी हाड़तोड़ मेहनत के बावजूद दो जून की रोटी के लिए मोहताज है।
आलम ये है कि मैन पॉवर सप्लाई करने वाले ठेकेदार जिन मेहनतकाश मुलाजिमो के दम पर मोटा माल कमा रहे हैं उन्हें पगार देने में उनकी रूह कांप रही है। हरिद्वार में भारत संचार निगम में ठेकेदारी प्रथा पर काम कर रहे तकरीबन 90 मुलाजिमों को ठेकेदार ने पिछले पांच महीने से तय पगार तो क्या चवन्नी भी नहीं दी। ऐसे में परिवार को रोटी के लाले पड़ा देख मुलाजिमों ने अपनी सेवा देने से इंकार कर दिया।
बीएसएनएल को ठेकेदारी में अपनी सेवा दे रहे मुलाजिमो ने ठेकेदार के विरोध में बीएसएनएल दफ्तर के गेट पर धरना दिया और अपना बकाया वेतन दिए जाने की मांग की। दाने-दाने को मोहताज मुलाजिमों का ऐलान है कि जब तक उनका वेतन नहीं मिलेगा तब तक वह कार्य पर वापस नहीं लौटेंगे।
वहीं हरिद्वार में बीएसएनएल के महाप्रबंधक अखिलेश कुमार गुप्ता का कहना है कि मुलाजिमों की पगार के बारे में ठेकेदार को नोटिस दे दिया गया है और जल्द से जल्द कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने को कहा गया है। बावजूद इसके अगर ठेकेदार नहीं माना तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि क्या कभी मोटी पगार और भत्ते लेने वाले भाग्यविधाता गरीब मजलूमो की उस बेबसी को समझ कर किसी कडे कानून को बनावा पाएंगी जिसका खौंफ खाकर कोई ठेकेदार किसी मजबूर का हक न मार सके।