हल्द्वानी– तकरीबन सवा लाख की आबादी वाला हल्द्वानी नगर निगम सीमा विस्तार के बाद आस-पास के 36 गांवों के साथ तकरीबन तीन लाख की आबादी वाला हो जाएगा।
सीमा विस्तार के इस कदम की जहां कांग्रेस मुखालफत कर रही है वहीं भाजपा इसे अहम बता रही है। कांग्रेस का तर्क है कि, नगर निकायों के सीमा विस्तार से सरकार गांवो के वजूद को खत्म कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष और हल्द्वानी विधायक इंदिरा हृदयेश सरकार के इस फैसले को तानाशाही बता रही है। हृदयेश का कहना
है कि पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों का सरकार उत्पीड़न कर रही है।
पंचायतों का अभी दो साल का कार्यकाल बाकी है।
इंदिरा ने कहा सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना गाँवो का को नगर निगम में शामिल करना सरकार की तानाशाही को दर्शता है। वहीं उन्होनें कहा कि कांग्रेस इस मसले को अदालत में लेकर जाएगी अगर सरकार ने अपने इस फैसले पर रोक नहीं लगाई।
वही सीमा विस्तार पर भाजपा के नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी का कहना है कि,गाँवो के निगम में शामिल होने से उनके स्वरूप में कोई बदलाव नही होगा। जबकि विकास की रफ्तार में तेजी आएगी। भगत दा ने कहा कि शहर से ये गाँव शहर की मुख्यधारा से नही जुड़ पाये थे। भगत दा ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इन गाँवो में शहर जैसी तमाम सुविधाएं देखने को मिलेंगी।
हालांकि हल्द्वानी की हकीकत ये है कि नगर निगम अभी मौजूदा नगर सीमा के भीतर ही दुरुस्त नहीं हो पाया है। संसाधनों की कमी और समस्याओं के बोझ से दबे हल्द्वानी नगर निगम नए 36 गांवों को कैसे सहूलियत देगा इस बात आजकल चर्चा आम है। बहरहहाल देखना ये दिलचस्प होगा कि नगर-गांवों की इस सियासत मे कौन सा सियासी दल बाजी मारता है। सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस वाकई में सरकार को कोर्ट में घसीटने की हिम्मत दिखा पाएगा।