देहरादून। उत्तराखंड विधान सभा मनसून सत्र के अंतिम दिन विपक्षी विधायकों की एक जुटता की पोल उस समय खुल गई जब कांग्रेस ने सदन से वाॅक आउट तो किया लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस के एक विधायक सदन में चले गए…लेकिन कांग्रेस प्रदश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को जब इस बात की जानकारी लगी कि उनके एक विधायक सदन में वाॅक आउट के बाद भी सदन में चले गए हैं तो फिर प्रीतम सिंह ने पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार को सदन से वापस आने का संदेश भिजवाया. जिसके बाद कांग्रेस विधायक राजकुमार सत्र से उठकर वापस आ गए।
क्या कांग्रेस विधायक राजकुमार को वाॅक आउट की जानकारी नहीं थी?
लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या कांग्रेस विधायक राजकुमार को वाॅक आउट की जानकारी नहीं थी और जानकारी थी तो वह सदन में कैसे चले गए…साथ ही सवाल है कि अगर राजकुमार को जानकारी नहीं थी तो फिर कांग्रेस की जो रणनीति सदन से वाॅक आउट करने की थी उसकी जानकारी राजकुमार को क्यों नहीं दी गई।
ममता राकेश मांगने लगी सत्र में जाने की इजाजत
ये तो बात हुई राजकुमार की अब बात करते हैं कांग्रेस विधायक ममता राकेश की. जिन्हे वाॅक आउट करने की जानकारी थी लेकिन जैसे ही उन्हे पता चला कि राजकुमार भोजन अवकाश के बाद कांग्रेस के सत्र से वाॅक आउट करने के बाद बैठे हैं…तो ममता राकेश भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से सत्र में जाने की इजाजंत मांगने लगी..ममता राकेश प्रदेश अध्यक्ष से कहती है कि उनकी विधान सभा क्षेत्र के कई संकल्प सदन में लगे हुए हैं इसलिए वह सदन में जाना चाहती है. लेकिन नेता प्रतिपक्ष के कैमरे में मौजूद कांग्रेस के अन्य विधायकों ने उन्हे सदन में जाने से मना कर दिया।
कांग्रेसी के वाॅक आउट करने के बाद सदन में कांग्रेस विधायक के पहुंचने और एक विधायक के सदन में जाने की इजाज़त मांगने से साफ होता है कि कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई थी, जिसका नतीजा ये रहा है कि सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस ने वाॅक आउट तो किया लेकिन आधि अधूरी तैयारियों के साथ…जिसके जानकारी का अभाव कांग्रेस विधायाकों में ही देखने को मिला। सत्र के दौरान भी देखने को मिला कि एक लोकायुक्त के मुद्दे को छोडकर कांग्रेस किसी भी मुदे पर सरकार को घेरने में कामयाब नहीं रही। जबकि कांग्रेस से ज्यादा सत्ता पक्ष के विधायकों के सवाल सत्र में सरकार के लिए मुसिबत खड़ी करते रहे।