देहरादून (मनीष डंगवाल) – राज्य सूचना आयुक्त के चयन के लिए बुलाई गई बैठक बेनतीजा ही साबित हुई। आपको बता दें कि सरकार की ओर से 2 राज्य सूचना आयुक्त के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए है। लेकिन राज्य सूचना आयुक्त के चयन को लेकर जो बैठक सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई वह पूरी तरिके से बेनजिा ही साबित हुई,क्योंकि सरकार और विपक्ष के बीच दो नामों को लेकर एक राय नहीं बन पाई।
नेता प्रतिपक्ष ने दिखाएं तेवर
राज्य सूचना आयुक्त के चयन को लेकर दरसल मुख्यमंत्री,सरकार के एक मंत्री और नेता प्रतिपक्ष की संयुक्त कमेटी होते हैं जो राज्य सूचना आयुक्त के लिए चयन बाॅडी होते है. यानी जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता के बीच एक राय होगी तभी राज्य सूचना आयुक्त के चयन पर मुहर लगती है। लेकिन ज्यादातर देखा जाता है जो नाम सरकार तय करती है. उन्ही पर मुहर लगती है.
सरकार जिन नामों को थोपेगी वह उन नामों के साथ नहीं होंगे
लेकिन इंदिरा हृदियेश ने कल हुई बैठक में तीखे तेवर दिखाते हुए साफ कर दिया है कि सरकार जिन नामों को थोपेगी वह उन नामों के साथ नहीं होंगे.सरकार या तो मैरिट के आधार पर नाम तय करे या ऐसे दो नामों को सरकार आगे रखे जिनसे वह सहमत है। इंदिरा हृदियेश का कहना कि कल जो बैठक हुई उसमें 115 नामों पर चर्चा हुई लेकिन सरकार जबर दस्सी दो नामों पर सहमति बनाने कि लिए कह रही थी, जिस पर वह एक मत नही थी. इसलिए सरकार को उनहोने राय दी है कि मैरिट के आधार पर नाम तय हो,फिर उनहे कोई आपत्ति नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष पहले भी फंसा चुके है पेंच
राज्य सूचना आयुक्त के नाम पर एक राय बनाने को लेकर पहले भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक राय न होेने के चलते मामले फंसते गए है,जिसके परिणाम सूचना आयोग में अपील करने वाले अपीलकर्ताओं को अभी तक भुगतने पड रहे है,पूर्ववर्ती हरीश रावत की सरकार में भी जब नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट थे तब भी एक पद के लिए मांगे गए आवेदन पर सरकार और विपक्ष की नाम को लेकर सहमति नहीं बनी थी और राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई थी।
पद होते जा रहे है खाली
राज्यू सूचना आयोग में 5 राज्य सूचना आयुक्तों के साथ एक मुख्य सूचना आयुक्त होने की परंपरा है जबकि संख्या 10 तक भी ढांचे में निर्धारित की गई है,लेकिन वर्तमान में 5 राज्य सूचना आयुक्तों की जगह एक राज्य सूचना आयुक्त काम कर रहे है जबकि 4 का कार्यकाल पूरा हो गया है। जबकि 1 राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल अगने महिने पूरा होने को है,मतलब अगर सरकार और नेता प्रतिपक्ष के बीच एक महिने दो नामों पर राय नहीं बनती है तो अगल महिने से राज्य सूचना आयोग की पूरी जिम्मेदारी मुख्य सूचना आयुक्त के कंधो पर ही होगी।
अपीलकर्ताओं को उठानी पड़ रही है परेशानी
राज्य सूचना आयुक्त के पदों को भरने के लिए नामों पर सरकार और विपक्ष के तनातनी का खामियाजा राज्य सूचना आयागे में अपील दर्ज करने वाले अपील कर्ताओं को भुगतना पड रहा है,क्योंकि अयोग में वर्तमान में 4 राज्य सूचना आयुक्त के पद खाली है और करीब 3 हजार के आसपास अपीलें प्रतिक्षा में आयोग में पडी है जिससे अपील कर्ताओं को मायूसी झेलनी पड रही है।
कब मिलेंगे राज्य सूचना आयुक्त
प्रदेश को कब राज्य सूचना आयुक्त मिलेंगे इस पर जहां अपील कार्ताओं की नजरें लगी हुई है वहीं कौन से वो नाम होंगे जो राज्य सूचना आयुक्त बनेंगे इस पर पत्रकारों,पूर्व नौरशाहों,पूर्व जजों की भी पैनी नजरें लगी हुई क्योंकि जो भी सूचना आयुक्त बनेगे वह इन्हे क्षेत्रों में से कोई बनेगा।