देहरादून(मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस इंटर काॅलेज में पढ़ते थे उस स्कूल का नाम अब देश में एक नई पहचान मिलने जा रही है,जी आप को बतादे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इंटर मीडिएट पौड़ी गढवाल के लैंसडौन के पास राजकीय इंटर काॅलेज जयहरीखाल से किया था,अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस स्कूल को नई पहचान दिलाना चाहते है,जिसके लिए शिक्षा विभाग ने तैयारियां भी शुरू कर दी है।
नेत्रहाट विद्यालय की तर्ज पर बनेगा विद्यालय
नेत्रहाट विद्यालय झारखण्ड राज्य की राजधानी राँची के निकट नेत्रहाट के पास है। नेत्रहाट विद्यालय एक सुप्रसिद्ध आवासीय विद्यालय है। अपनी स्थापना से ही, पहले बिहार राज्य में और अब झारखण्ड राज्य के शिक्षा बोर्डों की परीक्षा में प्रथम दस स्थान पाने वाले अधिकांश विद्यार्थी इसी विद्यालय के रहते रहे हैं। सन् २००० में बिहार से झारखण्ड राज्य के निर्माण के बाद अब यह झारखण्ड शिक्षा परिषद के अन्तर्गत आता है। राज्य शिक्षा बोर्ड की परीक्षा के अलावा इस विद्यालय के विद्यार्थी क्षेत्रीय गणित ओलम्पियाड, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा आदि में भी सदा अग्रणी रहते हैं।
इस विद्यालय की स्थापना नवम्बर 1954 में हुई थी। राज्य सरकार द्वारा स्थापित और गुरुकुल की तर्ज पर बने इस स्कूल में अभी भी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर प्रवेश मिलता है। यहाँ 10 -12 आय वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है और लड़कों को उच्चतर माध्यमिक परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है। अभी भी छात्र के आय के हिसाब से ही इस विद्यालय में फीस ली जाती है। इस विद्यालय में शिक्षा का माध्यम हिन्दी है। विषय के रूप में अग्रेंजी और संस्कृत भी पढाए जाते हैं। यहाँ के छात्रों ने अनेकानेक क्षेत्रों में इस विद्यालय की कीर्ति-पताका लहरायी है। कई शीर्ष के नौकरशाह और टेक्नोक्रेट इसी विद्यालय से पढ़ कर निकले हैं।
नेत्रहाट जाएंगी शिक्षा विभाग की टीम,स्कूल से कई आईएएस निकले है
नेत्रहाट विद्यालय देश का एक ऐसा सरकारी विद्यालय है जिसे कई आईएएस निकले है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी चाहते है जिस तरह नेत्रहाट विद्यालय बोर्ड परिक्षाओं में छात्रों की टाॅप लिस्ट में नाम बनाए रखता है उसी तरह वो स्कूल जिस स्कूल से वह पढ़े हैं. उस स्कूल से भी उत्तराखंड बोर्ड की परिक्षा में टाॅपर निकले,साथ ही स्कूल में पढने वाले छात्र बडे पदों पर निकले। मुख्यमंत्री के इसी सपने को साकार करने के लिए शिक्षा विभाग ने कसरत तेज कर दी है और राजकीय इंटर काॅलेज जयहरीखाल को नेत्रहाट की तर्ज पर बनाने के लिए शिक्षा विभाग की टीम जल्द ही नेत्रहाट विद्यालय का निरिक्षण करने जाएंगी।
आवासीय विद्यालय के रूप में तबदील होगा स्कूल
राजकीय इंटर काॅलेज जयहरीखाल को आवसीय विद्यालय बनाने के लिए कसरत तेज हो गई. पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इस स्कूल की दशा सुधारने के लिए बजट की व्यवस्था भी की जा रही है. पहले चरण में स्कूल भवन को नए सिरे से बनाए जाने को लेकर कार्ययोजना तैयार की गई है साथ ही स्कूल में छात्रों की संख्या के हिसाब से शौचालय भी बनाएं जाएंगे और आत्याधुनिक साईंस लैब भी स्थापित की जाएंगी इसके लिए शिक्षा विभाग 5 से 10 करोडॉ रूपये के बजट की व्यवस्था कर रहा है. दूसरे चरण में बालक और बालिकाओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जाएंगी।
नौकरशाह कर चुके है स्कूल का निरिक्षण
राजकीय इंटर काॅलेज जयहरीखाल को देश के बेहतरीन सरकारी आवासीय स्कूल बनाने के लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह,वित्त सचिव अमित नेगी,मुख्यमंत्री की सचिव राधिका झा और शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी निरिक्षण कर चुके है,जिसमें विस्तृत कार्ययोजना पर नौकरशाहों की चर्चा हो गए है और जल्द से जल्द आवसीय विद्यालय बनाने की दिशा में काम शुरू करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए गए है।
शिक्षा महानिदेशक ने भी दिए निर्देश
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में इसे देखा जा रहा है और इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है,शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी ने इस सम्बंध में विभाग की अधिकारियों की साथ बैठक कर मुख्यमंत्री से मिले निर्देशों से अधिकारियों को अवगत करा दिया है। आलोक शेखर तिवारी ने इसके लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी भी तय कर दी है।
स्कूल करेगा नाम रोशन
शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी का कहना कि जिस सोच के साथ मुख्यमंत्री ने स्कूल को आवासीय स्कूल के रूप में तबदील करने के निर्देश दिए है उसे उनहे भी लगता है कि आवासिय स्कूल बन जाने के बाद से इस स्कूल से बोर्ड परिक्षाओं के टाॅपर,भविष्य के आईएएस,वैज्ञानिक और डाॅक्टर इस स्कूल से निकलेगे। आलोक शेखर तिवारी की माने तो पहला लक्ष्य उनका स्कूल की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने की है,जैसे ही मूलभूत सुविधाएं पूरी हो जाती है तो छात्रावास बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा,इस बीच स्कूल सभी विषयों के योग्य शिक्षकों को तैनात कर दिया जाएगा,बाद में स्कूल में प्रवेश के लिए परिक्षा कराई जाएंगी और परिक्षा के आधार पर ही छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। जरूरत के हिसाब से स्कूल में इंलिश मीडियम में पढ़ाई भी कराई जाएंगी।
स्कूल का इतिहास
राजकीय इण्टर काॅलेज जयहरीखाल की स्थापना 1904 जनता के व्यक्तिगत प्रयासों से हिन्दी के प्रथम डीलिएट उपाधि डाॅ पीताम्बर दत्त बडथ्वाल के पैतृक गांव में ग्राम पाली में हुआ,उस समय स्कूल मिडिल स्तर तक था। 1906 को विद्यालय को लैन्सडौन से चार किमी दूर धूरा नामक स्थान पर स्थानान्तरित किया गया। 1908 में यह स्कूल लैन्सडौन लाया गया है और इसका नाम किंग जार्ज मिडिल स्कूल रखा गया। 1917 में स्कूल जयहरीखाल लाया गया 1919 में यह उच्चीकृत होकर हाईस्कूल हो गया वहीं 1947 यानी की देश की आजादी के वर्ष इसे इंटर मीडिएट के मान्यता मिल गई। 2015 में स्कूल को आदर्श विद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।