नैनीताल। हाई कोर्ट ने गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के लिए एतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केंद्र को गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से गंगा सागर (पश्चिम बंगाल) तक के गंगा किनारे बसे राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल को शामिल कर तीन माह में अंतरराज्यीय परिषद का गठन करने के आदेश पारित किए हैं। परिषद गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी व वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट काउंसिल को सुझाव देगी। इसके अलावा जिन 180 उद्योगों को पूर्व में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए नोटिस थमाए गए थे, उन्हें बंद करने के अलावा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने केंद्र को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के लिए तैयार की गई 266 करोड़ की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर स्टेट प्रोग्राम
मैनेजमेंट ग्रुप को अवमुक्त करने के निर्देश भी दिए हैं। इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन उत्तराखंड पेयजल निगम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए करेगा। यही नहीं उत्तराखंड सरकार को तीन माह के भीतर ऋषिकेश व हरिद्वार में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता ललित मिगलानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार में गंगा नदी में सीधे सीवर की गंदगी बहाई जा रही है। इससे गंगा की निर्मलता व अविरलता प्रभावित हो रही है। गंगा करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक है। लिहाजा गंगा में प्रदूषण व गंदगी निस्तारित करने के निर्देश दिए जाएं। शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने व हरिद्वार में जिन आश्रमों में सीवरेज प्लांट नही हैं, उन्हें तत्काल सील करने के आदेश जिलाधिकारी हरिद्वार को दिए हैं। कोर्ट ने गंगा में गंदगी करने वालों पर पांच हजार जुर्माना वसूलने को कहा है। इसके लिए नगर पालिका अधिनियम में संशोधन करने, उत्तराखंड में प्लास्टिक बैगों पर पूरी तरह पाबंदी लगाने व जनता को पॉलीथिन व प्लास्टिक का उपयोग न
करने के लिए जागरूक करने को कहा है। कोर्ट ने साफ किया है कि गंगा में साबुन व शैंपू से नहाने या जानवरों को नहलाने पर डीएम उत्तरदायी होंगे। आदेश में राज्य के नगर निकायों को कूड़ा निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए गए हैं। भविष्य में गंगा नदी के बहाव क्षेत्र के दो किमी दायरे में चीनी मिल, पेपर मिल, डिस्टलरी, टैक्सटाइल इत्यादि उद्योग लगाने पर भी पाबंदी लगा दी है। साथ ही हरिद्वार व ऋषिकेश में 50 से अधिक अतिथियों के ठहरने की क्षमता से अधिक वाला होटल अथवा आश्रम न खोलने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम हरिद्वार व नगरपालिका ऋषिकेश को निर्देश दिए हैं कि दोनों शहरों में पर्याप्त शौचालय बनाए जाएं। राज्य सरकार को गंगा क्षेत्र नदी संरक्षण क्षेत्र घोषित करने, नदी क्षेत्र में सभी सरकारी व गैर सरकारी निर्माण पर पाबंदी लगाने को कहा है। खंडपीठ के आदेश में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को केंद्र पोषित योजनाओं का लेखापरीक्षण राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।