नैनीताल:- केंद्र में मोदी सरकार और सूबे में त्रिवेंद्र सरकार होने के बावजूद उत्तराखंड में घोटाले को अंजाम दे दिया गया। सूबे की सरकार ने 18 मार्च को शपथ लेते वक्त ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात की और अप्रैल माह में चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद चारधाम यात्री बीमा घोटाला हो गया। तीर्थयात्रियों के साथ हुए घपले का पता भी नहीं चलता अगर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न मांगी जाती।
बहरहाल अब जब मामला अदालत तक पहुंच गया है तब माननीय न्यायालय ने जनहित से जुड़ी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला पंचायत उत्तरकाशी और ठेकेदार को नोटिस जारी कर सरकार और जिला पंचायत से चार हफ्ते के अंदर जवाब पेश करने के आदेश दिए है।
आपको बता दे कि उत्तरकाशी निवासी भीष्म राणा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि जिला पंचायत उत्तरकाशी ने साल 2015 -16 और17 में यमुनोत्री धाम की यात्रा कराने वाले यात्रियों जिन्होंने घोडे या कंडी की सहूलियत धाम की यात्रा के लिए ली उनसे यात्रा बीमा की किश्त तो वसूली लेकिन किसी भी यात्री का बीमा नहीं किया। जबकि जिस ठेकेदार को घोड़ा और कंड़ी का ठेका दिया गया था उसके साथ यात्रियों का बीमा करवाने का अनुबंध भी किया गया था।
गजब की बात ये है कि ठेकेदार ने इस दौरान सभी यात्रियों से बीमा की राशि तो वसूली। लेकिन जिला पंचायत ने किसी भी यात्री का बीमा करवाना मुनासिब नहीं समझा। हालांकि देखना ये दिलचस्प होगा कि जिलापंचायत माननीय न्यायालय के सामने अपने बचाव में क्या दलील देती है।