उत्तराखंड के स्वास्थय विभाग में हुए टैक्सी बिल घोटाले पर अब कैग ने भी अपनी मुहर लगा दी है। कैग की हालिया रिपोर्ट में साफ हुआ है कि अधिकारियों ने अभिलेखों की जांच किए बगैर कंपनियों को भुगतान किया। इससे राज्य को 1.25 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 58.44 लाख रुपए का भुगतान ऐसे 183 बिलों के सापेक्ष किया गया जिन पर वाहन का पंजीकरण नंबर ही अंकित नहीं था। 48.52 लाख रुपए का भुगतान ऐसे बिलो पर किया गया जिनपर न पंजीकरण संख्या और न ही यात्रा की तारीख अंकित थी।
अधिकारियों ने 37 ऐसे बिलों का भुगतान किया जो टैक्सी के नाम पर लगाए गए थे लेकिन कैग की जांच में ये सभी वाहन स्कूटर, थ्री व्हीलर या निजी कार के तौर पर पंजीकृत मिले। कैग ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि विभागीय अधिकारियों ने सारे कानूनों को दरकिनार कर टैक्सी कंपनियों से मिलीभगत कर 1.25 करोड़ रुपए का संदिग्ध भुगतान किया।
हालांकि हम अपने पाठकों को याद दिला दें कि ये घोटाला पहले ही खुल चुका है। इस मामले की जांच भी चल रही है। कई अफसर जांच के दाएरे में हैं।